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Agriculture News: इस राज्य के किसानों की चमकी किस्मत! इस चीज की खेती से हो रहे मालामाल, जानें 

MP के किसानी में क्रांति की झलकें दिखने लगीं हैं। यहाँ के किसानों ने पारंपरिक खेती को टाटा बाइ कर आधुनिक खेती को अपनाना शुरू कर दिया है। अब किसान वो खेती कर रहे हैं जिनकी बाजार में भर भर कर डिमांड है। इस नई खेती से किसानों की आमदनी को तगड़ी रफ्तार मिली है। 
 
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Agriculture News: MP के किसानी में क्रांति की झलकें दिखने लगीं हैं। यहाँ के किसानों ने पारंपरिक खेती को टाटा बाइ कर आधुनिक खेती को अपनाना शुरू कर दिया है। अब किसान वो खेती कर रहे हैं जिनकी बाजार में भर भर कर डिमांड है। इस नई खेती से किसानों की आमदनी को तगड़ी रफ्तार मिली है। 

इस परिवर्तन का प्रभाव किसानों की आर्थिक स्थिति पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। अब तक जो किसान गेहूं, चना, चावल और अरहर तक ही सीमित थे, वे अब मिर्च, शिमला मिर्च, कुम्हड़ा, तरबूज, बैंगन और धनिया जैसी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। 

इससे न केवल उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं बल्कि बाजार में उनके उत्पादों की मांग भी बढ़ जाती है। इसके कारण गांवों में खेती के बारे में सोचने का एक नया तरीका सामने आया है, जहां परंपरा और तकनीक के बीच संतुलन देखा जाता है।

पाटन के शाहपुरा ब्लॉक के नटवारा गांव के किसान शेख रुस्तम इस बदलाव के उदाहरण हैं। स्वीट कॉर्न, मूंग और उड़द जैसी फसलों के साथ-साथ स्क्वैश और धनिया की अंतरफसल की शुरुआत की गई है। उनकी मिश्रित फसल उन्हें पूरे वर्ष एक स्थिर आय प्रदान करती है और उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षित रखती है। 

वहीं, सुनाचार गांव के यशपाल लोधी ने 9 एकड़ जमीन पर ग्राफ्टेड बैंगन की खेती की और जून 2024 में पौधे रोपने के बाद उन्हें प्रति पौधे औसतन 20 किलो बैंगन की उपज मिली। उसके पौधे अब फिर से खिल रहे हैं, इसलिए वह एक बार फिर अच्छी फसल की उम्मीद कर रहा है।

कृषि विशेषज्ञों ने भी फसल में इस सकारात्मक बदलाव की सराहना की। कृषि वैज्ञानिक डॉ. शेखर सिंह के अनुसार फसल विविधता से न सिर्फ आय बढ़ती है बल्कि मृदा स्वास्थ्य के लिए भी यह लाभदायक है। 

जब किसान विभिन्न प्रकार की फसलें उगाते हैं तो मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन अधिक अनुकूल रहता है, इसलिए मिट्टी की उत्पादकता भी लंबे समय तक बनी रहती है। उनका मानना ​​है कि किसानों का यह रुझान खेती के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

कृषि विभाग भी इन किसानों की पहल से काफी प्रभावित हुआ। विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, जबलपुर के किसान अब नई तकनीक अपनाने और बाजार के अनुरूप खेती करने में पीछे नहीं हैं। 

वे ड्रिप सिंचाई, ग्रीनहाउस और मल्चिंग जैसी आधुनिक विधियों का उपयोग करते हैं, जिससे पानी की बचत होती है और बेहतर उपज भी मिलती है। विभाग किसानों को निरंतर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करके इस परिवर्तन को सुदृढ़ करने के लिए काम कर रहा है।

बेलखेड़ा गांव के किसान विनय बादल ने भी इस नई सोच को अपनाकर खेती में बड़ा बदलाव लाया है। अनाज और दालों की पारंपरिक खेती को छोड़कर इस साल उन्होंने करीब ढाई एकड़ शिमला मिर्च, पांच एकड़ टमाटर, पांच एकड़ हरी मिर्च और तीन-तीन एकड़ तरबूज और खरबूजे की खेती शुरू की है। 

शुरुआत में ड्रिप सिंचाई और तार-बांस व्यवस्था पर कुछ खर्च आया, लेकिन मिर्च और खरबूजे की अच्छी कीमत ने लागत से ज्यादा मुनाफा दिया। हालांकि टमाटर और तरबूज की कीमत अपेक्षा से कम थी, लेकिन इससे उन्हें अनुभव प्राप्त हुआ और अब वे अगली बार शिमला मिर्च और हरी मिर्च पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं।