बिना सिंचाई और खाद के भी मुनाफेदार है अरहर की खेती! कमाई जान होगी हैरानी

Agriculture News: बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में जब प्री-मानसून की हलचल शुरू होती है, तो खेतों की मिट्टी और किसानों की उम्मीदें दोनों जाग उठती हैं। इस बार चर्चा है अरहर की खेती (Pigeon Pea Farming) की — वो भी बिना रासायनिक खाद और सिंचाई के। जैविक खेती विशेषज्ञ आकाश चौरसिया के अनुसार, यह खेती कम लागत में ज़्यादा लाभ देने वाली साबित हो रही है।
दलहनी फसलों में अरहर का खास स्थान है और बुंदेलखंड की जलवायु इसके लिए वरदान है। जैविक खेती के विशेषज्ञ आकाश चौरसिया ने लोकल 18 को बताया कि इस क्षेत्र में अरहर की खेती करना न सिर्फ आसान है, बल्कि काफी लाभदायक भी है। उनके मुताबिक अरहर की खेती के लिए न तो रासायनिक खाद की जरूरत है और न ही सिंचाई के झंझट की।
इस समय बाजार में अरहर की दाल की कीमत करीब ₹6000 प्रति क्विंटल है। यानी अगर कोई किसान 8 क्विंटल दाल तैयार करता है तो उसे सीधे ₹48,000 की कमाई हो सकती है। अगर किसान खुद दाल तैयार करके बेचे तो उसे दोगुनी कीमत मिल सकती है।
खेत की उचित तैयारी के बाद करीब डेढ़ हजार क्विंटल तक बीज का उत्पादन संभव है। आकाश बताते हैं कि खेत की शुरुआत चूना और नीम पाउडर डालकर करनी चाहिए, इसके बाद खेत को 10 से 15 दिन के लिए खाली छोड़ देना चाहिए। इससे मिट्टी के अंदर छिपे खरपतवार और हानिकारक तत्व खत्म हो जाते हैं और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।