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राजस्थान सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत ने दिया 23 लोगों को जीवनदान 

इंसान अपने जीवन में जीते जी रक्तदान जरूर करना चाहिए और मरने के बाद अंगदान करके किसी मरते हुए को जीवनदान देना चाहिए. अंगदान से बड़ा कोई भी दान नहीं होता है. इसका बड़ा उदाहरण राजस्थान के एक युवक के परिजनों पेश किया. दरअसल जोधपुर के डांगियावास में सड़क हादसे के बाद ब्रेन डेड हुए करौली निवासी 23 साल के दीपक कुमार ने 3 लोगों को जिंदगी का उपहार दिया है.संभावित प्राप्तकर्ताओं में प्रत्यारोपण के लिए उसकी किडनी, लीवर और पैंक्रियाज को एम्स जोधपुर में निकाला गया. 
 

Rajasthan News : इंसान अपने जीवन में जीते जी रक्तदान जरूर करना चाहिए और मरने के बाद अंगदान करके किसी मरते हुए को जीवनदान देना चाहिए. अंगदान से बड़ा कोई भी दान नहीं होता है. इसका बड़ा उदाहरण राजस्थान के एक युवक के परिजनों पेश किया. दरअसल जोधपुर के डांगियावास में सड़क हादसे के बाद ब्रेन डेड हुए करौली निवासी 23 साल के दीपक कुमार ने 3 लोगों को जिंदगी का उपहार दिया है.संभावित प्राप्तकर्ताओं में प्रत्यारोपण के लिए उसकी किडनी, लीवर और पैंक्रियाज को एम्स जोधपुर में निकाला गया. 

एक किडनी और पैंक्रियाज PGIMER, चंडीगढ़ को और दूसरी किडनी लीवर और बाइलरी साइंसेस संस्थान (ILBS), नई दिल्ली को तथा लीवर एम्स जोधपुर को आवंटित किया गया.किडनी और पैंक्रियाज को पहले एम्स से जोधपुर एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से भेजा गया. उसके बाद एक किडनी, लिवर एवं बाइलरी साइंसेस संस्थान नई दिल्ली और दूसरी किडनी और पैंक्रियाज PGIMER, चंडीगढ़ हवाई मार्ग से भेजे गए. दीपक कुमार 21 अक्टूबर को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था. 

ईएनटी रक्तस्राव, शरीर पर कई खरोंचों और बेहोशी की हालत में एम्स जोधपुर के आपातकालीन विभाग में लाया गया. इलाज के दौरान शनिवार को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. कंवराई देवी के परिवार ने दीपक के अंगों का दान कर दूसरे लोगों को जिंदगी देने जैसा नेक फैसला किया.ऑर्गन रिट्रीवल प्रक्रिया को एम्स जोधपुर के ऑर्गन ट्रांसप्लांट टीम द्वारा कार्यकारी निदेशक प्रो. जी.डी. पुरी, ट्रांसप्लांट टीम के अध्यक्ष प्रो. ए.एस. संधू, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महेश देवनानी और अंग प्रत्यारोपण नोडल अधिकारी डॉ. शिव चरण नवरिया की देखरेख में सटीकता के साथ अंजाम दिया गया. 

सर्जिकल गैस्ट्रो टीम में डॉ. वैभव वर्श्नेय, डॉ. सुभाष सोनी, डॉ. पीयूष, डॉ. सेल्वा कुमार और डॉ. लोकेश शामिल थे. एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. प्रदीप भाटिया ने किया, जिसमें डॉ. मनोज कमल, डॉ. अंकुर शर्मा, डॉ. भरत पालीवाल और डॉ. सादिक मोहम्मद भी शामिल थे. प्रत्यारोपण समन्वयकों में दशरथ, रमेश और नेहा शामिल थे. ऑर्गन रिट्रीवल प्रक्रिया के बाद शव को पूरे सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ परिवार को सौंप दिया  गया.