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हरियाणा की हवा में घुला जहर, बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को हो रहीं हैं साँस लेने में दिक्क्त 

हरियाणा की  वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 392 पर पहुंच गया। इस सीजन में यह अब तक राज्य के किसी भी शहर का सबसे अधिक एक्यूआई है। वीरवार को यहां का एक्यूआई 226 था। एक दिन में एक्यूआई में 166 अंक की वृद्धि दर्ज हुई है। चार नवंबर को भी बहादुरगढ़ (335) देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर था। इसके अलावा तीन अन्य शहर भिवानी 325, सोनीपत 319 और जींद 304 की हवा भी बेहद प्रदूषित श्रेणी में है
 

Haryana News : हरियाणा की  वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 392 पर पहुंच गया। इस सीजन में यह अब तक राज्य के किसी भी शहर का सबसे अधिक एक्यूआई है। वीरवार को यहां का एक्यूआई 226 था। एक दिन में एक्यूआई में 166 अंक की वृद्धि दर्ज हुई है। चार नवंबर को भी बहादुरगढ़ (335) देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर था। इसके अलावा तीन अन्य शहर भिवानी 325, सोनीपत 319 और जींद 304 की हवा भी बेहद प्रदूषित श्रेणी में है। 

इन चारों शहर का एक्यूआई भी एक दिन में 300 पार पहुंच गया है।वहीं, एक्यूआई 400 पहुंचने पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा राज्य में ग्रैप-3 लागू कर सख्ती भी बढ़ाई जाएगी। एक्यूआई 400 के करीब पहुंचने से आंखों में जलन और सांसों में घुटन शुरू हो गई है। पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल के मुताबिक प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी से प्रदेश के अस्पतालों में सांस, आंख, त्वचा, ह्दय से संबंधित मरीजों का दबाव भी बढ़ना तय है। गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए खतरा दोगुना बढ़ जाता है। 

हवा की गति में परिवर्तन और प्रदूषण फैलाने के स्थानीय कारण प्रदूषण स्तर बढ़ने का मुख्य कारण है।देश के 44 शहरों में एक्यूआई 200 से 300 (प्रदूषित) के बीच है। इसमें हरियाणा के 6 शहर शामिल हैं। इनमें गुरुग्राम में 271, जबकि बल्लभगढ़ 261, फरीदाबाद 235, हिसार 232, कुरुक्षेत्र 221 और रोहतक 259 में एक्यूआई है। आठ नवंबर यानी वीरवार को गुरुग्राम (302) देश का 5वां सबसे प्रदूषित शहर था।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक प्रदेश में एक्यूआई 400 के करीब पहुंचना चिंताजनक है। 

एक्यूआई 400 पहुंचने पर ग्रैप-3 लागू होने पर सख्ती भी बढ़ाई जाएगी। प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए दिल्ली एनसीआर से सटे 14 जिलों में ग्रैप-2 लागू करने के साथ अन्य उपकरणों का भी लगातार प्रयोग जारी हैं। पांच हजार स्क्वायर मीटर से 10 हजार स्क्वायर मीटर तक के निर्माण के लिए एक एंटी-स्मॉग गन, दस से 15 हजार स्क्वायर मीटर के लिए दो, 15 से 20 हजार स्क्वायर मीटर के लिए तीन और 20 हजार स्क्वायर मीटर से ऊपर के लिए चार एंटी-स्मॉग गन लगाने के निर्देश दिए गए हैं।