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राजस्थान की महिलाओं ने लगाए पुलिस पर आरोप, बोली हमें लाठियों से कुटा गया 

राजस्थान के टौंक जिले के समरावता गांव में एसडीएम थप्पड़ कांड के बाद पुलिस और नरेश मीणा के समर्थकों के बीच हिंसक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस घटनाक्रम ने गांव के कई घरों को प्रभावित किया, जहां पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
 

Rajasthan News : राजस्थान के टौंक जिले के समरावता गांव में एसडीएम थप्पड़ कांड के बाद पुलिस और नरेश मीणा के समर्थकों के बीच हिंसक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस घटनाक्रम ने गांव के कई घरों को प्रभावित किया, जहां पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

गांव की महिलाओं ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें बेरहमी से मारपीट, बच्चों और महिलाओं पर लाठीचार्ज, और घरों में घुसकर तोड़फोड़ करने का आरोप शामिल है। एक महिला ने बताया कि पुलिस ने उनकी छोटी बच्चियों पर भी लाठियां बरसाईं। उनके मुताबिक, घरों के दरवाजे तोड़े गए, और पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिनका अब तक कोई अता-पता नहीं है। इस हिंसक कार्रवाई में कई लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है, लेकिन उनकी स्थिति और पहचान अभी तक स्पष्ट नहीं है।

घटना के बाद समरावता गांव में माहौल तनावपूर्ण हो गया। पुलिस और नरेश मीणा के समर्थकों के बीच संघर्ष की वजह से कई घरों में भारी तोड़फोड़ हुई। एक तीन मंजिला मकान में घुसकर नरेश मीणा और उनके समर्थकों ने शरण ली थी, और वहां पुलिस से बचने के लिए संघर्ष हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस के साथ संघर्ष के दौरान नरेश मीणा भागने में सफल हो गए थेपुलिस की कार्रवाई के दौरान, कुछ लोग नरेश को बचाने के लिए उन्हें दूसरे घरों में छिपा लाए थे। इस दौरान भारी पुलिस बल ने लाठीचार्ज किया और तोड़फोड़ की, जिसमें कई वाहनों में आग लगाई गई और कई घरों के अंदर मवेशियों के चारे को आग के हवाले कर दिया गया।

टोंक के एसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पुलिस पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना या गाड़ियों को जलाना नहीं था, बल्कि वे वहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गए थे। एसपी ने यह भी दावा किया कि पुलिस पर पथराव हुआ था और उनकी गाड़ियों में आग लगाई गई थी। इसके बावजूद, उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग बाहर से आकर इस मामले में शामिल हुए थे, और जो लोग गिरफ्तार हुए हैं, वे अधिकांश बाहरी थे।13 नवंबर को नरेश मीणा और उनके समर्थकों ने एसडीएम द्वारा की गई थप्पड़ कांड के खिलाफ धरना दिया था। धरने के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे अफरा-तफरी मच गई।बाद में, जब नरेश मीणा और उनके समर्थक पुलिस से बचने के लिए घरों में छिपे, तो पुलिस ने घरों में घुसकर उन्हें पकड़ने की कोशिश की।

कुछ समय बाद, पुलिस और नरेश मीणा के समर्थकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ और इसके परिणामस्वरूप कई वाहन जलाए गए और पत्थरबाजी की गई।यह मामला केवल एक थप्पड़ कांड से शुरू होकर हिंसक संघर्ष और पुलिस के खिलाफ आरोपों तक पहुंच गया है, जिसमें स्थानीय लोगों का आक्रोश और पुलिस के व्यवहार पर सवाल उठाए जा रहे हैं।मामला ज्यों-ज्यों बढ़ेगा, स्थिति और भी जटिल हो सकती है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो, ताकि आरोपों का सही तरीके से समाधान हो सके। वहीं, इस पूरे घटनाक्रम का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि यह चुनाव बहिष्कार और प्रशासनिक दबाव के मुद्दे से भी जुड़ा हुआ है।