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हरियाणा में पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्यवाही, अबतक 18 पर FIR दर्ज 

जबकि पिछली 10 वर्षों में आंकड़ों की बात करें तो पराली जलाने के मामलों में राज्य की स्थिति काफी सुधरी है। हालांकि अभी और प्रयास की जरूरत है। हर बार धान कटाई की सीजन में सरकार की ओर से पराली जलाने के मामलों को शून्य तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करके विस्तृत योजना लागू करवाया जाता है। 2013 में पराली जलाने के कुल 17,620 मामले आए थे, जबकि 2023 में यह संख्या कम होकर 2303 रह गई है। यानी पराली जलाने के मामलों में कुल 87 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
 

Haryana News : जबकि पिछली 10 वर्षों में आंकड़ों की बात करें तो पराली जलाने के मामलों में राज्य की स्थिति काफी सुधरी है। हालांकि अभी और प्रयास की जरूरत है। हर बार धान कटाई की सीजन में सरकार की ओर से पराली जलाने के मामलों को शून्य तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करके विस्तृत योजना लागू करवाया जाता है। 2013 में पराली जलाने के कुल 17,620 मामले आए थे, जबकि 2023 में यह संख्या कम होकर 2303 रह गई है। यानी पराली जलाने के मामलों में कुल 87 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

 वहीं, साल 2024 में 22 अक्तूबर तक पराली जलाने के 665 मामले सामने आए हैं, जो पिछले पांच वर्षों में इस समय तक सबसे कम हैं। साल 2020 में 1326, साल 2021 में 1368, साल 2022 में 771, साल 2023 में 689 मामले आए थे साल 2023 में कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन 72 लाख टन पराली निष्पादित कराई गई थी। इसके अलावा क्षेत्रीय अधिकारियों की मांग के अनुसार कुल 10,588 सुपर सीडर और 1,405 बेलिंग यूनिट (तीन मशीनों का सेट, रोटरी स्लेशर, स्ट्रा रेक और बेलर) उपलब्ध कराए गए थे।

 वहीं, नो स्ट्रॉ बर्निंग व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया था, जिसमें सभी विभाग के अधिकारी अपडेट रहते थे।   प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार कृषि और किसान कल्याण विभाग ने 320 करोड़ रुपये में पराली जलाने के मामलों को शून्य तक लेकर आने की योजना लागू की गई है। इसमें 67 गांव रेड जोन और 402 गांवों को यलो जोन में शामिल किया गया है। रेड जोन गांवों में अस्थायी चौकी और नोडल ऑफिसर की सर्दियों तक पक्की तैनाती की गई है। रिकॉर्ड के मुताबिक अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, रोहतक, कैथल, यमुनानगर, सोनीपत और पलवल जिलों में विशेष नजर रखी जा रही है। 
राज्य में धान का रकबा 38.87 लाख एकड़ है, जिसमें 81 लाख टन पराली निष्पादन की लक्ष्य तय है। क्षेत्रीय अधिकारियों की मांग पर अबकी बार कुल 15 हजार से अधिक सुपर सीडर और 1,805 बेलिंग यूनिट (तीन मशीनों का सेट, रोटरी स्लेशर, स्ट्रॉ रेक और बेलर) उपलब्ध कराए गए हैं। अभी तक इन-सीटू प्रबंधन (फसल की किस्मों को उनके वातारण में बनाए रखना) के लिए 90,000 से अधिक मशीनें पहले ही उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। 

इसके अलावा जींद, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा, करनाल, रोहतक सहित अन्य राज्य में मिलाकर तकरीबन 12 बायोगैस प्लांट हैं। गोशालाओं को धान की पराली उठाने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि दी जाएगी। वहीं, किसानों को भी फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ सहायता राशि दी जाएगी।

 इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को विभागीय पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। राज्य सरकार के निर्देशानुसार पहली बार पराली जलाने वाले किसानों की रेड एंट्री करने का नियम लागू किया गया है। रेड एंट्री होने वाले किसान अगले दो सीजन तक एमएसपी पर अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे। इसके अलावा पहली बार पराली जलाने वाले किसानों की गिरफ्तारी शुरू हुई है।