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बढ़ते प्रदूषण के बीच हरियाणा में अचानक से हुई ताबड़तोड़ बारिश 

प्रदूषण के इलाज के लिए 'नकली बारिश' का प्रयोग किया गया। यह घटना एक नई तकनीक की ओर इशारा करती है, जो प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण को सुधारने के लिए कारगर साबित हो सकती है। इस नकली बारिश के जरिए प्रदूषण के खतरनाक असर को कम करने का प्रयास किया गया।
 

Haryana News : प्रदूषण के इलाज के लिए 'नकली बारिश' का प्रयोग किया गया। यह घटना एक नई तकनीक की ओर इशारा करती है, जो प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण को सुधारने के लिए कारगर साबित हो सकती है। इस नकली बारिश के जरिए प्रदूषण के खतरनाक असर को कम करने का प्रयास किया गया।

नकली बारिश, जिसे वैज्ञानिक भाषा में 'क्लाउड सीडिंग' (Cloud Seeding) कहा जाता है, एक मौसम संशोधन तकनीक है। इसमें आकाश में बादल होते हुए भी बारिश को प्रेरित करने के लिए रासायनिक पदार्थों का छिड़काव किया जाता है। यह तकनीक बादलों से पानी को बरसाने के लिए बादल में मौजूद पानी के कणों को जोड़ने का काम करती है, जिससे बारिश हो सके।राजस्थान के कुछ हिस्सों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से इस तकनीक का उपयोग किया गया। इस तकनीक के जरिए, बिना काले बादल और कड़कती बिजली के, वातावरण में नमी का स्तर बढ़ाया गया, जिससे बारिश का असर दिखा।

क्लाउड सीडिंग में आमतौर पर दो मुख्य रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है: सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड। ये पदार्थ बादलों में डाले जाते हैं, ताकि बादल के पानी के कण आपस में मिलकर भारी हो जाएं और बारिश के रूप में गिर सकें।क्लाउड सीडिंग से मौसम में बदलाव लाने की कोशिश की जाती है, जैसे कि बारिश बढ़ाना, सूखा दूर करना, या यहां तक कि बर्फबारी को बढ़ाना। हालांकि, इस तकनीक को एक वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सावधानी के साथ प्रयोग किया जाता है, ताकि इसके पर्यावरणीय प्रभावों का ठीक से मूल्यांकन किया जा सके।राजस्थान में प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर वायु प्रदूषण के कारण। इस प्रदूषण के चलते स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे कई लोग सांस की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस नकली बारिश के प्रयोग का उद्देश्य वातावरण में मौजूद धूल और अन्य प्रदूषकों को बारिश के साथ जमीन पर लाकर प्रदूषण कम करना था।

क्लाउड सीडिंग को एक प्रभावी तकनीक माना जा सकता है, जिससे वातावरण में मौजूद प्रदूषक कणों को नीचे लाया जा सकता है। हालांकि, यह तकनीक पूरी तरह से प्रदूषण को खत्म नहीं कर सकती, लेकिन इसे एक तात्कालिक उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इस तकनीक के जरिए प्रदूषण के स्तर को कुछ समय के लिए कम किया जा सकता है, खासकर ऐसे क्षेत्रों में जहां धूल और अन्य प्रदूषक तत्व हवा में अत्यधिक मात्रा में होते हैं।

क्लाउड सीडिंग तकनीक को लागू करते समय कई पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ उठाई जाती हैं। रासायनिक पदार्थों का उपयोग करने से वातावरण पर कुछ दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं, और ये तकनीक हमेशा प्रभावी नहीं हो सकती। इसके अलावा, मौसम को नियंत्रित करने के लिए क्लाउड सीडिंग को विभिन्न स्थानीय परिस्थितियों और मौसम की स्थिति पर निर्भर रहकर किया जाता है, जिससे हर जगह इसके परिणाम समान नहीं हो सकते।