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हरियाणा के इन 14 जिलों में स्थापित होंगे ट्रॉमा सेंटर, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को 10 मिनट के अंदर मिलेगा इलाज, जानें 

 

Haryana News: हरियाणा सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को बड़ी राहत दी है। राज्य की सैनी सरकार ने एक बड़ी पहल के तहत 14 जिलों में ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है। ये ट्रॉमा सेंटर राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के आसपास स्थापित किए जाएंगे ताकि सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को गोल्डन ऑवर के भीतर चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके और अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके।

राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 26.30 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है जिसका उपयोग चिकित्सा उपकरणों की खरीद, ब्लड बैंकों की जरूरतों को पूरा करने और अन्य चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए किया जाएगा। इस कदम से न केवल दुर्घटना पीड़ितों को शीघ्र उपचार मिल सकेगा, बल्कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को भी शीघ्र चिकित्सा सहायता मिल सकेगी।

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सड़क दुर्घटनाओं में समय पर उपचार क्यों महत्वपूर्ण है?

हरियाणा में विभिन्न राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कई मामलों में समय पर उपचार न मिलने के कारण घायलों की मौत हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यदि दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को पहले घंटे यानी गोल्डन ऑवर में उचित उपचार मिल जाए तो उसके बचने की संभावना 80% तक बढ़ जाती है।

वर्तमान में राजमार्ग दुर्घटनाओं के घायलों को सिविल अस्पताल या किसी बड़े चिकित्सा केंद्र तक पहुंचने में एक घंटे या उससे अधिक समय लग जाता है। लेकिन यदि हाईवे के पास ट्रॉमा सेंटर होंगे तो मरीजों को 10 मिनट के अंदर इलाज मिल सकेगा।

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किन 14 जिलों में ट्रॉमा सेंटर होंगे?

हरियाणा सरकार की परियोजना के तहत राज्य के 14 जिलों में ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। ये जिले राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से जुड़े हुए हैं जहां हर दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। सूची में गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत, करनाल, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, रोहतक, हिसार, भिवानी, रेवाड़ी, झज्जर और महेंद्रगढ़ शामिल हैं।

ये ट्रॉमा सेंटर उन्नत चिकित्सा सुविधाओं से लैस होंगे। इनमें आपातकालीन ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, आईसीयू, कार्डियक केयर यूनिट और अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं होंगी, ताकि मरीजों को तत्काल उपचार मिल सके।

ये ट्रॉमा सेंटर कैसे काम करेंगे?

राज्य सरकार ने इन ट्रॉमा सेंटरों की स्थापना के लिए रणनीति तैयार कर ली है। प्रारंभिक चरण में ये चिकित्सा सुविधाएं सिविल अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाएंगी तथा बाद में राजमार्गों के निकट स्थायी ट्रॉमा सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इसका मतलब यह था कि जब तक इन जिलों में ट्रॉमा सेंटर पूरी तरह से नहीं बन जाते, तब तक उपकरण और सुविधाएं अस्पतालों में ही रहेंगी।

जब सड़क दुर्घटना होती है, तो सबसे पहले एम्बुलेंस मरीज को निकटतम ट्रॉमा सेंटर ले जाएगी। वहां मौजूद डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की टीम मरीज की स्थिति के अनुसार तत्काल उपचार देगी। यदि मरीज की हालत अधिक गंभीर होगी तो उसे बड़े अस्पतालों में रेफर किया जाएगा।