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वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस-वे से 6 घंटे की होगी बचत, सफर सिर्फ 9 घंटे का, देखे रूट मेप 

 

Varanasi-Ranchi-Kolkata Expressway वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे से 6 घंटे की बचत होगी। परियोजना के पूरा होने पर वाराणसी से कोलकाता की दूरी नौ घंटे में तय की जायेगी. इस दूरी को तय करने में अभी 15 घंटे का समय लगता है।(national highway) वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण से यात्री कम समय में अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे।(expressway of india) जमीन अधिग्रहण समेत पूरी लागत 1,317 करोड़ रुपये आएगी.(nitin gadkari) परियोजना के पूरा होने पर वाराणसी से कोलकाता की दूरी नौ घंटे में तय की जायेगी. इस दूरी को तय करने में अभी 15 घंटे का समय लगता है। अधिकारियों के मुताबिक, राजमार्ग देश के विभिन्न प्राचीन और पवित्र शहरों को जोड़ेगा। हाईवे का 27 किलोमीटर का हिस्सा रोड ग्रीन जोन होगा। इसके निर्माण से लॉजिस्टिक लागत कम होगी और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। यह सड़क यूपी, बिहार, झारखंड और बंगाल के बीच कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।(highway)यूपी के चंदौली जिले के साथ-साथ औरंगाबाद, कैमूर, रोहतास, रांची, बोकारो, पुरुलिया को अच्छी कनेक्टिविटी मिलेगी। यह सड़क कैमूर-रोहतास के दक्षिणी क्षेत्र से होकर गुजरेगी.

610 किमी लंबा 6 लेन एक्सप्रेसवे

6 लेन वाले वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे को NH319B के नाम से जाना जाएगा। एक्सप्रेसवे लगभग 610 किमी लंबा है। यह लंबा होगा. एक्सप्रेसवे वाराणसी से शुरू होगा और यूपी के चौदाली की सीमा पर चांद में बिहार में प्रवेश करेगा। यूपी से आने वाला गंगा एक्सप्रेस-वे शहबाजपुर सीमा से चांद सीमा में प्रवेश करेगा। इसके बाद यह रामपुर से चैनपुर, भगवानपुर और भभुआ होते हुए रोहतास जिले के चेनारी में प्रवेश करेगी। एक्सप्रेसवे रामपुर ब्लॉक के निसिझा, इटवा, अकोढ़ी, बसिनी, गंगापुर, चमरियां, दुबौली, पसई, बसुहारी, सोनारा, पचहरा, ठाकुरहट, सबार आदि गांवों से होकर गुजरेगा। कैमूर से गुजरने वाले वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण की देखरेख एनएचएआई की टीम करेगी.

एक्सप्रेसवे के कई फायदे होंगे

भारत माला प्रोजेक्ट से बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे को कई फायदे होंगे। इस पथ में पेट्रोल पंप, होटल, ढाबे, वाहन पार्क के पास दुकानें आदि खुलेंगी, जिससे स्थानीय लोगों को फायदा होगा. साथ ही जिस क्षेत्र में एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा, उसके आसपास की जमीन की कीमत बढ़ जाएगी, जिससे किसानों को फायदा होगा। वे व्यावसायिक दरें प्राप्त कर सकते हैं.