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राजस्थान के जालोर और सिरोही इलाके में महसूस हुए भूकंप के झटके, मौसम भिवाग ने दी चेतावनी 

राजस्थान में गुरुवार शाम को आए भूकंप ने क्षेत्रीय लोगों को चिंता में डाल दिया, हालांकि शुक्र है कि इस भूकंप से कोई बड़ी क्षति नहीं हुई। भूकंप का केंद्र जालोर जिले से करीब 85 किलोमीटर दूर निंबावास के पास था, और इसकी गहराई 10 किलोमीटर नीचे थी।
 

Rajatshan News : राजस्थान में गुरुवार शाम को आए भूकंप ने क्षेत्रीय लोगों को चिंता में डाल दिया, हालांकि शुक्र है कि इस भूकंप से कोई बड़ी क्षति नहीं हुई। भूकंप का केंद्र जालोर जिले से करीब 85 किलोमीटर दूर निंबावास के पास था, और इसकी गहराई 10 किलोमीटर नीचे थी।

भूकंप के प्रभाव

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता केवल 3.4 रही, जो कि बहुत अधिक नहीं थी। इससे किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली। भूकंप के झटके जालोर और सिरोही जिले में करीब 3-4 सेकेंड तक महसूस किए गए, जिससे लोग डरकर अपने घरों और दुकानों से बाहर निकल आए। इस दौरान माउंट आबू, आबूरोड, रेवदर और सिरोही के अन्य क्षेत्रों में लोग अपने परिवारों का हाल जानने के लिए फोन करने लगे।

आबूरोड कस्बे के गिरवर गांव के निवासी रंजीत ने बताया, "शाम के करीब 5:30 बजे थे, जब अचानक धरती हिलने लगी। लोग दहशत में आकर घरों से बाहर निकल आए और एक-दूसरे को फोन करके हालचाल पूछा। शुक्र है कि भूकंप की तीव्रता ज्यादा नहीं थी, जिससे किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ।"

भूकंप के कारण

भूकंप आने का मुख्य कारण पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं। धरती की सतह पर सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं, जो हमेशा गतिमान रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो उनके कोने मुड़ जाते हैं या दबाव पड़ने पर टूटने लगती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान जो ऊर्जा निकलती है, वह बाहरी सतह तक पहुंचती है, और यही ऊर्जा भूकंप के रूप में महसूस होती है।

भविष्य में भूकंप के बारे में क्या उम्मीदें हैं?

हालांकि इस बार भूकंप की तीव्रता काफी कम थी, लेकिन भारत में टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधि के कारण भविष्य में और भी भूकंपों का खतरा हो सकता है। खासकर उत्तर-पश्चिमी और उत्तरी भारत के क्षेत्रों में भूकंप का प्रभाव ज्यादा देखने को मिल सकता है, क्योंकि यहां कई प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट्स से संबंधित गतिविधियां होती रहती हैं।