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एक थप्पड़ से खत्म हुआ अधिकारी का करियर, जानें क्या हैं पूरा मामला 

13 नवंबर को राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। इस घटना के बाद शुरू हुआ बवाल अभी तक शांत नहीं हो पाया है। यह मामला अब एक बार फिर राजस्थान में नेताओं और अफसरों के बीच मारपीट की घटनाओं की श्रृंखला में जोड़ दिया गया है।
 

Rajasthan News : 13 नवंबर को राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। इस घटना के बाद शुरू हुआ बवाल अभी तक शांत नहीं हो पाया है। यह मामला अब एक बार फिर राजस्थान में नेताओं और अफसरों के बीच मारपीट की घटनाओं की श्रृंखला में जोड़ दिया गया है।

यह पहला मामला नहीं है जब नेताओं और अफसरों के बीच मारपीट हुई हो। इससे पहले भी कई घटनाएँ सामने आ चुकी हैं।1997 में, भाजपा के सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ने सिंचाई विभाग के सचिव पीके देव को अपने चैंबर में बुलाकर पीटा था। उस समय के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने तुरंत इस पर कार्रवाई करते हुए भाटी से मंत्री पद का इस्तीफा लिया था। इस घटना के बाद पीके देव ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, और मामला सीआईडी-सीबी को सौंपा गया। हालांकि, 22 साल बाद 2019 में इस मामले में चालान पेश किया गया, लेकिन अगस्त 2022 में हाईकोर्ट ने चार्जशीट खारिज कर दी थी और मामला अब भी लंबित है।

2001 में कांग्रेस के विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने अजमेर के एसपी आलोक त्रिपाठी को कलेक्टर की बैठक के दौरान थप्पड़ मार दिया था। इस मामले में सिंगारिया के खिलाफ 22 साल तक जांच चलती रही, और उन्हें 2023 में तीन साल की सजा सुनाई गई, हालांकि उन्होंने सजा के खिलाफ अपील की और जमानत पर रिहा हुए। इसके बाद, वे राजनीति में हाशिए पर चले गए।2022 में, पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने डीएफओ रवि मीणा को उनके दफ्तर में थप्पड़ मारा था। यह घटना वन विभाग द्वारा मंदिर के रास्ते पर सड़क निर्माण पर रोक लगाने के कारण हुई थी। इस मामले में राजावत को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 10 दिन जेल में रहना पड़ा।

2022 में कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और उनके समर्थकों ने बाड़ी में बिजली ग्रिड सब स्टेशन के इंजीनियर हर्षदापति के साथ मारपीट की थी। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मलिंगा को सरेंडर करने का आदेश दिया, और जांच सीआईडी-सीबी द्वारा की जा रही है।नरेश मीणा के खिलाफ एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना ने फिर से नेताओं और अफसरों के बीच मारपीट के मामलों को चर्चा में ला दिया है। नरेश मीणा, जो विधायक नहीं हैं, के खिलाफ यह मामला सीआईडी-सीबी को नहीं सौंपा जाएगा, क्योंकि यह केवल विधायक और सांसदों के खिलाफ मामले होते हैं जो इस विशेष जांच एजेंसी को सौंपे जाते हैं। इससे नरेश मीणा को राहत मिल सकती है, क्योंकि सीआईडी-सीबी में मामलों की जांच काफी धीमी गति से चलती है।

वरिष्ठ वकील एके जैन का कहना है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच अक्सर धीमी हो जाती है, क्योंकि सीआईडी-सीबी में मामलों का लंबा खिंचाव होता है। यही कारण है कि देवी सिंह भाटी, बाबूलाल सिंगारिया जैसे मामलों में वर्षों तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया।राजस्थान में अफसरों और नेताओं के बीच मारपीट के मामले लगातार चर्चा में रहते हैं, और अक्सर इन मामलों की जांच लंबी खींच जाती है। नरेश मीणा का थप्पड़ कांड इस क्रम में नया उदाहरण बन गया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस मामले में सही और त्वरित कार्रवाई होगी या यह भी पुराने मामलों की तरह लंबित रहेगा।