Rajasthan Assembly By-election 2024: सचिन पायलट की साख पर बड़ा दांव! जानें सचिन पायलट के लिए विधानसभा उपचुनाव क्यों महत्वपूर्ण?
Rajasthan By-election 2024: राजस्थान में इन सात सीटों में से 4 पर कांग्रेस ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के करने के बाद अब इस चुनाव में कांग्रेस के सामने दो चुनौती हैं. पहली यह कि उसे अपनी ये चारों सीटें (दौसा, देवली, रामगढ़ और झुंझुनू) बचानी हैं, और दूसरी यह कि उसे लोकसभा चुनाव में मिले मोमेंटम को बरकरार रखना है. इस वक्त राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हैं, लेकिन इस उपचुनाव में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की साख ज्यादा दांव पर लगी है, उसकी दो बड़ी वजह हैं.
पहली तो यह है कि रामगढ़ विधानसभा को छोड़ दें तो बाकी तीन सीटों पर जो विधायक चुनाव जीत कर सांसद बने हैं, उन्हें पायलट गुट का माना जाता है. यह तीन नेता हैं दौसा से मुरारी लाल मीणा, देवली-उनियारा से हरीश मीणा और झुंझुनू से बृजेंद्र ओला. मुरारी लाल मीणा तो वो नेता हैं, जो 2020 में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बागी होकर सचिन पायलट के साथ हरियाणा के मानेसर होटल में जाने वाले विधायकों में शामिल थे. दूसरी वजह यह है कि सचिन पायलट का सबसे ज्यादा असर पूर्वी राजस्थान में माना जाता है. चार सीटों में से 2 सीट दौसा और देवली-उनियारा पूर्वी राजस्थान का ही हिस्सा है.
सचिन पायलट के इस असर की शुरुआत उनके पिता राजेश पायलट के जमाने से ही हो गई थी. राजेश पायलट दौसा से सांसदी का चुनाव जीतते रहे थे और उनके निधन के बाद सचिन पायलट की मां रमा पायलट भी यहां से सांसद रहीं हैं. पायलट भी कई बार अपने भाषणों में दौसा को 'कांग्रेस का गढ़ ' कह चुके हैं. आज से 6 साल पहले 2018 में राजस्थान में एक विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे.
इन में एक मांडलगढ़ विधानसभा, दो लोकसभा सीट अलवर और अजमेर शामिल थीं. उस समय पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 2013 में पायलट के राजस्थान कांग्रेस के कमान संभालने के बाद यह पहला मौका था जब कांग्रेस ने राजस्थान में किसी चुनाव में जीत हासिल की थी. तब सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस का केंद्र बिंदु बन गए थे.