हरियाणा में फर्जी तलाक का पेंशन फर्जीवाड़ा, 12 हजार 600 दंपतियों ने दिखाया फर्जी तलाक

Haryana News: हरियाणा में फर्जी तलाक के सहारे बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्ड बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का बड़ा घोटाला सामने आया है। करीब 12,600 जोड़ों ने रिकॉर्ड में फर्जी तलाक दिखाया और परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) में अपनी आय 1.80 लाख रुपये से कम दिखाई। इस धोखाधड़ी से राज्य सरकार को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। खेल का खुलासा होते ही पुलिस हरकत में आई और अब तक सात आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
सबसे ज्यादा मामले झज्जर, रोहतक और सिरसा से
घोटाले के सबसे ज्यादा मामले झज्जर, रोहतक और सिरसा जिलों से सामने आए हैं। जांच से पता चला कि यह कोई अकेली घटना नहीं थी, बल्कि एक संगठित गिरोह द्वारा की गई योजनाबद्ध धोखाधड़ी थी। इस गिरोह का नेटवर्क नूंह जिले सहित कई अन्य जिलों में फैला हुआ है, जो फर्जी दस्तावेज तैयार कर बीपीएल सूची में नाम जुड़वाते थे।
इन आरोपियों को किया गया गिरफ्तार
झज्जर साइबर पुलिस ने नागरिक संसाधन सूचना विभाग (सीआरआईडी) के जिला प्रबंधक योगेश कुमार, झज्जर सेवा प्रदाता अमित कुमार, सिकंदर, विकास, गीता रानी, नीरज कुमार और नूंह के मोहम्मद सैफ को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर फर्जी पीपीपी दस्तावेज बनाने, जिला संहिताओं से छेड़छाड़ करने और सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी करने का आरोप है।
ऐसा रचा गया फर्जीवाड़े का जाल
इस धोखाधड़ी में जोड़े कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करते थे और अपने परिवार पहचान पत्र में तलाकशुदा स्थिति दिखाते थे। तलाक का कोई कानूनी दस्तावेज न होने के बावजूद, खाली कागज अपलोड किए गए, जिन्हें क्रीड के जिला प्रबंधक द्वारा प्रमाणित किया गया, जैसे कि वे वैध दस्तावेज हों।
इस प्रक्रिया से पति और पत्नी के पास दो अलग-अलग परिवार पहचान पत्र रह गए, जिससे दोनों की वार्षिक आय स्वतः ही कम हो गई। इस प्रकार दोनों बीपीएल श्रेणी में शामिल हो गए और सरकार की दर्जनों योजनाओं का लाभ उठाया।
बीपीएल कार्ड से मिलते हैं ये लाभ
फर्जी बीपीएल कार्ड धारकों ने मुफ्त अनाज, सस्ते दामों पर सरसों का तेल और चीनी, 100 गज के प्लॉट और सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता जैसे लाभ उठाए।
विशेष रूप से खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, श्रम विभाग तथा समाज कल्याण विभाग की योजनाओं का दुरुपयोग किया गया।
सरकार बीपीएल परिवारों को प्रति सदस्य 5 किलो अनाज (गेहूं या बाजरा) मुफ्त देती है, साथ ही 40 रुपये में दो लीटर सरसों का तेल और 13.5 रुपये प्रति किलो की दर से चीनी भी देती है।
इसके अलावा प्लॉट योजना के तहत बीपीएल परिवारों को 100 वर्ग गज के मुफ्त प्लॉट भी मिलते हैं। इन फर्जी परिवारों ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और कन्यादान योजना जैसी योजनाओं का भी लाभ उठाया।
70% लोग अपनी आय छिपाकर BPL बन गए
हरियाणा सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य की लगभग 70% आबादी बीपीएल श्रेणी में आती है, जो एक चौंकाने वाला आंकड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा इतना अधिक इसलिए है क्योंकि बड़ी संख्या में लोग जानबूझकर अपनी वार्षिक आय कम बताते हैं। आधार-सक्षम सार्वजनिक वितरण प्रणाली (एईपीडीएस) के अनुसार, हरियाणा की कुल 2.80 करोड़ जनसंख्या में से 19.72 मिलियन लोग बीपीएल के अंतर्गत पंजीकृत हैं।
बीपीएल दर्जा दिलाने के लिए गिरोह ने ली मोटी रकम
पुलिस जांच में यह भी पता चला कि गिरोह ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर बीपीएल सूची में नाम जुड़वाने के बदले प्रत्येक परिवार से बड़ी रकम वसूली थी। इसमें शामिल लोगों ने तलाक दिखाने के लिए 10,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक वसूले। बदले में उन्होंने परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया।
सख्त धाराएं लागू होती हैं
पूरे मामले में पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी और सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ जैसी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, घोटाला बड़ा हो सकता है तथा जांच के बाद और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और सीआरआईडी अधिकारियों और अन्य विभागों को अपने-अपने जिलों में फर्जी तलाक और पीपीपी अपडेट की जांच करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं।