Khelorajasthan

 519 KM लंबा बनेगा गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे, इन 416 गांवों को मिलेगा सीधा लाभ 

केवल यूपी में 14 एक्सप्रेसवे हैं, जिनमें से कई पर ट्रैफिक सुचारू रूप से चालू है और कई पर अभी कार्य चल रहा है, जो आने वाले समय में बनकर आम लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे। उनमें से गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे भी शामिल है जो बिहार की सीमा से होकर गुजरेगा। कुल मिलाकर पटना से पूर्णिया और बक्सर से भागलपुर तक बनने वाला शानदार एक्सप्रेस-वे इधर, यूपी के गोरखपुर और उधर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी को भी कनेक्ट करेगा। 
 
 519 KM लंबा बनेगा गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे, इन 416 गांवों को मिलेगा सीधा लाभ 

Gorakhpur-Siliguri Expressway : केवल यूपी में 14 एक्सप्रेसवे हैं, जिनमें से कई पर ट्रैफिक सुचारू रूप से चालू है और कई पर अभी कार्य चल रहा है, जो आने वाले समय में बनकर आम लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे। उनमें से गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे भी शामिल है जो बिहार की सीमा से होकर गुजरेगा। कुल मिलाकर पटना से पूर्णिया और बक्सर से भागलपुर तक बनने वाला शानदार एक्सप्रेस-वे इधर, यूपी के गोरखपुर और उधर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी को भी कनेक्ट करेगा। 

इसके निर्माण से तीन राज्यों के लोगों की यात्रा सुगम हो जाएगी। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे (519 किमी) रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे (650 किमी) पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (बक्सर से पटना होते हुए भागलपुर तक 345 किमी) और पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे (215 किमी) शामिल हैं। इन परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्राथमिकता के आधार पर पूरा कराने हेतु केंद्र सरकार से अनुरोध किया जा रहा है।

 इस एक्सप्रेसवे को बनाने में एनएचएआई 32000 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। साल 2028 तक एक्सप्रेसवे को कंपलीट करने का लक्ष्य है।  गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एक नहीं बल्कि तीन क्षेत्रों की तस्वीर चमका देगा। इस एक्सप्रेसवे के जरिए बिहार के दरभंगा, चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, फारबिसगंज को कनेक्ट करेगा। इससे यूपी के गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर से होकर गुजरने पर यहां के यातायात में सुधार होने की संभावना प्रबल है। कयास लगाए जा रहे हैं कि गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के साथ एनसीआर के गोएडा और ग्रेटर नोएडा में निवेश की संभावना बढ़ेगी।  
 
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण से इन दोनों शहरों के बीच की दूरी करीब 600 किलोमीटर घट जाएगी। इस परियोजना के लिए केवल उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया जिले के कुल 111 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है। जिसमें चौरी-चौरा तहसील के 14 गांव, कुशीनगर की हाटा तहसील के 19 गांव, तमकुहीराज तहसील के 42 गांव और कसया तहसील के 13 गांव शामिल हैं। 

वहीं, देवरिया जिले की सदर तहसील के 23 गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। यह एक्सप्रेसवे उधर, बरेली-गोरखपुर एक्सप्रेसवे से जुड़ा एक सतत मार्ग होगा। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार के पश्चिम चंपारण के 15, पूर्वी चंपारण के 69, शिवहर के 7 सीतामढ़ी के 33, मधुबनी के 66, सुपौल के 43, अररिया के 47 और किशनगंज के 25 गांवों को कवर करते हुए गुजरेगा। वहीं, दोनों राज्यों को जोड़ने वाली गंडक नदी पर 10 किलोमीटर का पुल बनाया जाएगा। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में 84.3 किमी, बिहार में 416 किमी और पश्चिम बंगाल में 18.97 किमी यानी कुल लंबाई 519.58 किमी है। 

अभी गोरखपुर-सिलीगुड़ी को जोड़ने वाली कोई सीधी सड़क नहीं है। लिहाजा, अभी यात्रा का समय 15 घंटे लगता है। लेकिन, इस सड़क मार्ग के बनने से 6 घंटे सफर कम हो जाएगा। यानी 9 घंटे में यूपी से बंगाल पहुंचा जा सकेगा।  गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर 25 जगह इंटरचेंज बनाए जाएंगे। जहां, स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे और दूसरी मुख्य सड़कों को जोड़ा जाएगा, ताकि, लोगों का आवागमन काफी सहूलियत होगी। इस एक्सप्रेसवे से गोरखपुर-आजमगढ़ लिंक एक्सप्रेसवे जैसे मुख्य मार्ग जुड़ेंगे। इस एक्सप्रेसवे के खुलने से दिल्ली, यूपी, बिहार और बंगाल तक यात्रा काफी सुगम होगी। यह मोतिहारी से सिलीगुड़ी की दूरी 390 किलोमीटर और मोतिहारी से गोरखपुर की दूरी 130 किलोमीटर है।