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 हरियाणा के इस गाँव में हुआ अनोखा चमत्कार, अब बनेगा बड़ा पर्यटन केंद्र

हरियाणा के चरखी दादरी जिले के कलियाणा गांव में स्थित एक अनोखा पत्थर दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पत्थर को स्थानीय लोग 'हिलना पत्थर' कहते हैं और वैज्ञानिक इसे लचीला बलुआ पत्थर (Flexible Sandstone) के नाम से जानते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह पत्थर रबर की तरह लचीलापन दिखाता है और झटके देने पर हिलता है, जो आमतौर पर किसी भी चट्टानी पदार्थ में संभव नहीं होता।
 
Haryana Big News

Haryana Big News: हरियाणा के चरखी दादरी जिले के कलियाणा गांव में स्थित एक अनोखा पत्थर दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पत्थर को स्थानीय लोग 'हिलना पत्थर' कहते हैं और वैज्ञानिक इसे लचीला बलुआ पत्थर (Flexible Sandstone) के नाम से जानते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह पत्थर रबर की तरह लचीलापन दिखाता है और झटके देने पर हिलता है, जो आमतौर पर किसी भी चट्टानी पदार्थ में संभव नहीं होता।

अनुमान लगाया जा रहा है कि हिलना पत्थर का लचीलापन एक विशेष प्रकार के प्राकृतिक वातावरण के कारण है। आखिर यह चट्टान किन भूगर्भीय परिस्थितियों में मिली और इसका निर्माण कैसे हुआ, इसे समझने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक भी शोध कर रहे हैं। 

हिलना पत्थर से भूकंपरोधी इमारतें बनाने के लिए भी शोध किया जा चुका है। हालांकि उन्होंने भूगर्भीय धरोहर को बचाने और हिलना पत्थर को नष्ट करने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को लेकर वन, खनन समेत कई विभागों में बोर्ड भी लगा दिया है। 

यहां के निवासी नरेंद्र राजपूत, बिजेंद्र सिंह, जय भगवान और पूर्व सरपंच नानकी देवी ने बताया कि लचीले बलुआ पत्थर के अलावा हिलना पत्थर को हरियाणा का डांस स्टोन भी कहा जाता है। राज्य सरकार ने भी पिछले दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं में इसके बारे में पूछा था। यही वजह है कि उनका गांव देश-विदेश में कलियाणा के नाम से जाना जाता है। 

ग्रामीण गांव की शान हिलना की पत्थरी विरासत को बचाना चाहते हैं और इसे पर्यटन स्थल बनाना चाहते हैं। साथ ही ग्रामीण हिलना के समतल पत्थर को बचाने के लिए भी लगातार प्रयास कर रहे हैं। निवासियों ने बताया कि हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय के भूविज्ञान के प्रोफेसर प्रभास पांडे अपनी टीम के साथ क्षेत्र में आए थे। 

उनके अनुसार हिलना पत्थर की अनूठी विशेषताओं का अध्ययन करने के बाद, इन पत्थरों का उपयोग भूकंपरोधी इमारतों के निर्माण में किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत जैसे भूकंप संभावित देश के लिए बड़ी बात होगी।