Agriculture News: धान की बंपर पैदावार देख खुशी से झूमने लगोगे, बस एक बार फॉलो कर लो यह गजब ट्रिक

Agriculture News :अभी के समय सभी किसान भाई अपने खेतों में धान की फसल के लिए रौपन तैयार करने में लगे हुए हैं। सभी किसान भाई बस अब यहीं सोच रहें हैं की धान की फसल को और अधिक बेहतर बनाने के लिए कम खर्चें में एक बढ़िया किस्म के बीज को तलाश कर रहें हैं।
आज के समय में बाजार में कई किस्मों के बीज उपलब्ध हैं। इस करके किसानों भाइयों को परेशानी होती हैं की कौनसे बीज फसल की बंपर पैदावार ले सकें.इन सभी सवालों के जवाब बालाघाट के किसान राजकुमार चौधरी ने दिए हैं. बता दें कि राजकुमार एक अनुभवी किसान हैं, जो पूरी तरह जैविक और परंपरागत तरीके से खेती करते हैं.
राजकुमार देसी बीजों का उपयोग कर खेती करते हैं और कम लागत में अधिक मुनाफा कमाकर खेती को लाभ का धंधा बना रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए किसान राजकुमार चौधरी ने कहा, "आज की चकाचौंध में किसान बाजारों में बिक रहे हाइब्रिड, रिसर्च और अन्य किस्मों के बीजों के पीछे भाग रहा हैं. इनके लिए वे मोटी रकम भी खर्च कर रहे हैं. किसान ने घरेलू तरीके से बीजों को तैयार करना छोड़ दिया है, जबकि देसी परंपरागत धान के बीज यहां की मिट्टी के अनुकूल होते हैं.
घरेलू तरीके से तैयार बीजों से रोपा लगाकर कर किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. राजकुमार चौधरी ने कहा, "परंपरागत बीज विलुप्त होते जा रहे हैं. किसानों अब बाजार में बिक रहे धान के बीजों को खरीद कर रोपा तैयार करते हैं. इसके बाद खेत में धान की रोपाई कर फसल उगाते हैं, जो बहुत खर्चीली साबित हो रही है. बाजार से लाए धान बीजों से बोई फसल में नई नई बीमारियों का भी प्रकोप देखने मिलता है.
जिसके लिए किसानों को उसके रासायनिक दवा आदि का छिड़काव समय पर करना पड़ता है. किसान राजकुमार का दावा है कि "देसी परम्परागत बीजों से तैयार हुई फसलों से प्राप्त अनाज स्वादिष्ट और पौष्टिकता से भरपूर होते हैं. देसी बीजों में कीट व्यधियों का प्रकोप न के बराबर होता है. ऐसा भी नहीं है की इन बीजों से फसलों के उत्पादन क्षमता में कोई गिरावट आती है. लेकिन देसी परंपरागत तरीके से तैयार बीज से खेती करने के दौरान कुछ सावधानियां रखनी होती हैं.
जिसके कारण न तो बीमारियां फसलों को नुकसान पहुंचा पाती हैं और उत्पादन भी खूब होता है.परंपरागत तरीके से धान के बीजों का चयन कर लें. इसके बाद बीज की जांच करने के लिए नमक और पानी का घोल तैयार करें. इसके बाद घोल में बीज डालकर बीज की क्वालिटी चेक करें. घोल में उतराते बीजों को हटा दें और बैठे बीजों को अलग निकाल कर रख लें.
इस विधि से आपको अच्छी क्वालिटी के आसानी से बीज मिल जाएंगे, जिनकी खेतों में बुवाई करके अच्छी पैदावार ले सकेंगे. इन बीजों से तैयार फसल में कीट, रोग और व्याधि की समस्या न के बराबर होगी. एक बाल्टी पानी लें फिर इसमें मुर्गी का एक अंडा डाल दें. यादि पानी में अंडा तैरता रहता है, तो अंडा अच्छा नहीं और डूब जाता है तो अंडा अच्छा है. इस विधि से अंडे की जांच हो जाएगी. इसके बाद पानी से भरी बाल्टी में नमक डालकर मिलना शुरू करें और साथ में चेक करते रहें कि घोल सही बना है या नहीं. इसको जांचने के लिए घोल में अंडा डालेंगे यदि अंडा घोल में डूब रहा है, तो घोल रेडी नहीं है.
इसमें और नमक डालकर मिलाना है, यह तब तक करना है जब तक घोल में अंडा तैरने ना लेगे. अगर घोल में अंडा तैरने लगे तो, इसका मतलब आपका घोल बनकर तैयार है. अब आप अपने बीज की जांच कर सकते हैं. घोल से परीक्षण के बाद मिले अच्छी क्वालिटी के बीजों की बुआई से पहले इन्हें बीज अमृत से उपचित कर लें, ताकि इनमें बीमारियों और कीट व्याधि से लड़ने की क्षमता और भी बढ़ जाये. इसके साथ ही उत्पादन क्षमता भी बढ़ जाएगी. इसके लिए बीज अमृत तैयार करना होगा. इसको तैयार करने के लिए सबसे पहले गाय का तकरीबन एक किलो गोबर ले लें. इसे सूती कपड़े में बांध कर 2 लीटर पानी से भरे टब में रात भर रख दें. सुबह गोबर को निचोड़ कर उसमें दो लीटर गौमूत्र, सौ ग्राम हल्दी और सौ ग्राम चूना मिला दें. इस तरह ये बीज अमृत बनकर तैयार हो गया.