Bangladesh News: छात्र आंदोलन ने बदल दी सत्ता, जानें कैसे नाहिद इस्लाम बने आंदोलन का चेहरा
Bangladesh News: बांग्लादेश में बीते करीब एक महीने से आरक्षण के खिलाफ आंदोलन चल रहा था। इस आंदोलन के खिलाफ शेख हसीना सरकार की सख्ती के कारण यह सत्ता से बेदखल करने के आंदोलन में बदल गया। 4 अगस्त को हालात इतने बिगड़ गए कि शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। वर्तमान में वह भारत में हैं और ब्रिटेन या फिनलैंड जैसे किसी देश में जाने की योजना बना रही हैं।
आंदोलन के प्रमुख चेहरे
इस बड़े आंदोलन के पीछे तीन छात्र हैं: नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद, और अबू बकर मजूमदार। ये तीनों ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं और आरक्षण विरोधी आंदोलन के अगुवा थे। 19 जुलाई को इन्हें अगवा कर लिया गया था और 26 जुलाई को रिहा किया गया। इसके बाद इन्होंने आंदोलन को और तेज किया और 10 दिनों के भीतर तख्तापलट हो गया। अब सेना ने कमान संभाल ली है और अंतरिम सरकार का गठन तेजी से हो रहा है।
आंदोलन का प्रमुख चेहरा
नाहिद इस्लाम, ढाका यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के छात्र हैं और स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट (SADM) के नेता हैं। SADM के तहत छात्रों ने बांग्लादेश में कोटा सिस्टम में बदलाव की मांग की थी। बांग्लादेश में फर्स्ट और सेकेंड क्लास नौकरियों में 56 फीसदी आरक्षण है, जिसमें 30 फीसदी आरक्षण बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिजनों को मिलता है। इस व्यवस्था को भेदभाव वाला और राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल होने वाला बताया जाता रहा है।
आरक्षण की स्थिति और उसका प्रभाव
महीना BY2001=100 DA% मासिक वृद्धि
जनवरी 138.9 50.84
फरवरी 139.2 51.44
मार्च 138.9 51.95
अप्रैल 139.4 52.43
मई 139.9 52.91
हिंदू मंदिरों की सुरक्षा
विरोध प्रदर्शनों के बीच, बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। इस स्थिति में कुछ छात्रों ने एक अनोखी मुहिम शुरू की है। ये लोग टोली बनाकर बारी-बारी से मंदिरों की रक्षा कर रहे हैं ताकि मुस्लिम प्रदर्शनकारी उन्हें नुकसान न पहुंचा सकें। नरसिंगदी जिले के कांदीपारा गांव में काली मंदिर पर हमला हुआ है और ढाका के ढाकेश्वरी हिंदू मंदिर की रात के समय पहरेदारी करते हुए छात्रों के विजुअल्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसमें छात्रों की बड़ी भूमिका है। नाहिद इस्लाम और उनके सहयोगियों ने इस आंदोलन को नेतृत्व दिया और वर्तमान में सेना ने स्थिति को संभाला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतरिम सरकार का गठन कैसे होता है और देश का भविष्य किस दिशा में जाता है।