यूपी के इस शहर मे 2000 करोड़ की जमीन पर चलेगा बुलडोजर! कब्जा करके काट दी अवैध कॉलोनी, देखे पूरा मामला
noida authority illegal colonies ग्रेटर नोएडा. ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की मुआवजा उठाई गई जमीन पर कॉलोनाइजर द्वारा कॉलोनी काटने का मामला लखनऊ तक पहुंच गया है। औद्योगिक विकास आयुक्त (Greater Noida)मनोज सिंह ने बिसरख, जलपुरा और हैबतपुरा में प्राधिकरण की करीब दो लाख वर्ग(noida authority) मीटर जमीन पर काटी गई अवैध कॉलोनियों पर पूरी रिपोर्ट मांगी है।
कॉलोनाइजर पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की तैयारी
जमीन की कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपये है. जानकारी के मुताबिक, अथॉरिटी ने सुभाष यादव समेत 20 कॉलोनाइजर्स को चिन्हित किया है। इन सभी की कुंडली खंगाली जा रही है। प्राधिकरण के मुताबिक इन कॉलोनाइजरों द्वारा खरीदी गई अन्य संपत्तियों की भी जानकारी जुटाई जा रही है।
उन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा चलाने की तैयारी की जा रही है. इन तीनों गांवों में कॉलोनाइजरों ने 2016 से लेकर 2016 के बीच जमीन खरीदी है इस दौरान प्राधिकरण में काम करने वाले अधिकारियों की भी जांच की जा रही है।
आठ साल तक काटी अवैध कॉलोनियां
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के विकास की गति शुरू हो गई कई बिल्डर सोसायटियों, संस्थानों, व्यावसायिक परियोजनाओं ने पैर जमाना शुरू कर दिया था। 2016 के बाद से निपटान में भी तेजी आई है। जमीन की कीमत लगातार बढ़ने लगी। जमीन की बढ़ती कीमत को देखते हुए कॉलोनाइजर भी सक्रिय हो गए और जमीन पर कब्जा शुरू हो गया।
2016 से 2023 के बीच अवैध कॉलोनियां कटनी शुरू हुईं. बिसरख, हैबतपुर और जलपुरा के जलमग्न क्षेत्रों में लगभग 200,000 वर्षों तक भूमि पर अवैध कब्ज़ा होने तक घर और विला बनाए गए। हैरानी की बात यह है कि प्राधिकरण पहले ही जमीन का मुआवजा दे चुका है। प्राधिकरण ने कुछ जमीन पर 64 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा भी दिया है। प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों ने आंखें मूंद लीं। अब इन आठ वर्षों के दौरान तैनात रहे अधिकारी और कर्मचारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं।
अवैध कॉलोनियां बसा दीं
प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत एवं मुआवजा प्राप्त भूमि की निगरानी की जिम्मेदारी प्राधिकरण के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की है। यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से स्थल निरीक्षण करना होगा कि विकास परियोजनाओं के लिए खरीदी गई भूमि पर अवैध कब्जा न हो। इसके बावजूद इतने बड़े भूभाग पर अवैध कॉलोनियां बस गईं। 2016 से 2023 के बीच वर्क सर्किल समेत प्राधिकरण कार्यालय में तैनात रहे अधिकारी और कर्मचारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। इस बीच अब प्राधिकरण ने कॉलोनाइजर को चिह्नित कर लिया है। जल्द ही सूची शासन को भेज दी जाएगी।