हरियाणा में पूर्व CM हुड्डा पर बरसे संकट के बादल, क्या बन पाएगी नई कांग्रेस पार्टी

Haryana News : हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए चार महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी अभी तक इस अप्रत्याशित हार से उबर नहीं पाई है। चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस का नेतृत्व संकट में दिख रहा है, क्योंकि अब तक पार्टी ने नेता विपक्ष का चयन नहीं किया है। इस दौरान, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद को नेता विपक्ष के रूप में प्रस्तुत किया है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक उन्हें कोई इशारा नहीं किया है। अब सभी की नजरें 6 मार्च को होने वाली कांग्रेस की मीटिंग पर टिकी हैं, जिसमें पार्टी के भविष्य पर चर्चा हो सकती है।
भूपेंद्र हुड्डा का दावा
भूपेंद्र हुड्डा ने हार के बाद विधायकों की बैठक बुलाकर दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन किया था। वे पहले से ही यह दावा कर चुके हैं कि उन्हें विपक्ष का नेता बनाया जाना चाहिए। उनके खेमे के विधायक भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं का मानना है कि पार्टी को नए चेहरे को मौका देना चाहिए और भूपेंद्र हुड्डा का नेतृत्व विवादित हो सकता है।
कुमारी शैलजा की भूमिका
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी, हालांकि उन्हें चुनाव में सफलता नहीं मिली। अब उनकी कोशिश है कि वह अपने कद को बढ़ाकर कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। कुछ सूत्रों का कहना है कि कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच की लड़ाई ने राज्य में जाट और दलित वोटों को प्रभावित किया, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है।
नेता विपक्ष के लिए कौन हैं दावेदार?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा नेता विपक्ष (हुड्डा खेमे का समर्थन)
कुमारी शैलजा मुख्यमंत्री पद की दावेदार
रणदीप सुरजेवाला प्रदेश अध्यक्ष
दीपेंद्र हुड्डा प्रदेश अध्यक्ष, नेता विपक्ष
चंद्र मोहन बिश्नोई नेता विपक्ष के लिए दावेदार
अशोक अरोड़ा विपक्ष नेता (हुड्डा खेमे से)
गीता भुक्कल विपक्ष नेता (हुड्डा खेमे से)
बीके हरिप्रसाद की मीटिंग
6 मार्च को हरियाणा कांग्रेस के नए प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने दिल्ली में एक महत्वपूर्ण मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के साथ अन्य नेताओं और वरिष्ठ विधायकों को भी बुलाया गया है। इस मीटिंग के दौरान पार्टी के भविष्य पर गंभीर चर्चा हो सकती है, जिसमें नेता विपक्ष के चयन और संगठन में खाली पदों को भरने पर मंथन किया जाएगा।