इंदिरा गांधी नहर को लेकर हुआ विवाद, किसानों ने दिया धरना
Rajasthan News : उन्होंने यहां विभाग के अधिकारियों का घेराव किया. किसानों का कहना था कि हाल ही में अतिवृष्टि के कारण कई नहरें और उनकी माइनर क्षतिग्रस्त हो गई. इससे पश्चिमी राजस्थान के किसानों के लिए समस्याएं बढ़ गई हैं. किसानों ने कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना जो कभी क्षेत्र के लिए वरदान थी, अब मुसीबत का सबब बन गई है.किसानों का कहना था कि रबी की फसल की बुवाई का समय आ चुका है और नहरी विभाग ने पानी के वितरण के लिए रेगुलेशन की बैठक अब आयोजित की है.
इसके चलते बैठक में लिए गए फैसलों को क्रियान्वयन में बिलंब होगा. हाल ही में अतिवृष्टि के कारण कई नहरें और उनकी माइनर क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे पश्चिमी राजस्थान के किसानों के लिए समस्याएं बढ़ गई हैं. सत्तर प्रतिशत नहरें खराब: किसानों ने सोमवार को जैसलमेर स्थित इंदिरा गांधी नहर परियोजना के मुख्यालय पर धरना दिया और जमकर नारेबाजी की. इस दौरान किसानों ने एक मांग पत्र सौंपा और चेतावनी दी कि यदि अब उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं होती हैं, तो वे कलेक्ट्रेट के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देंगे.
किसानों ने बातचीत में बताया कि पिछले दो महीने से 70 प्रतिशत नहरें क्षतिग्रस्त हैं और अब तक उनकी मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ है. जहां हर साल 5-10 सितंबर तक मरम्मत का काम पूरा हो जाता था, इस बार सितंबर खत्म होने के बावजूद मरम्मत कार्य की शुरुआत भी नहीं हुई. ये हैं किसानों की प्रमुख मांग: नहरी किसान मोटन खान ने बताया कि नहरों की मरम्मत की जाए.नहरों की शील्ड सफाई और मिट्टी निकालने के कार्य को प्राथमिकता दी जाए.
पोंग डैम में पानी की कमी को देखते हुए नहरों को मार्च तक कम से कम पांच बार पानी दिया जाए. साथ ही पिछले दो वर्षों से रिक्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता और वृत मोहनगढ़ के अधिक्षण अभियंता पदों पर जल्द से जल्द अधिकारियों की नियुक्ति की जाए. बजट घोषणा के तहत बन रही सामूहिक डिग्गियों और नहरों के पुनर्निर्माण में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए.