खींवसर, चौरासी, और सलूंबर में कांटे की टक्कर, भाजपा या आरएलपी कौन मारेगा बाज़ी
Rajasthan News : राजस्थान में आगामी उपचुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है, जहां बीजेपी, आरएलपी और बीएपी के बीच मुकाबला तीव्र हो गया है। खींवसर, चौरासी और सलूंबर सीटों पर वर्तमान समीकरण और चुनावी चर्चा को लेकर कई दिलचस्प बातें सामने आई हैं। आइए जानते हैं इन तीन सीटों के बारे में अधिक
खींवसर में चुनावी माहौल बहुत दिलचस्प है। यहां आरएलपी से कनिका बेनीवाल की उम्मीदवारी है, लेकिन चुनावी प्रचार में उनकी पति हनुमान बेनीवाल का चेहरा प्रमुख हो गया है। खींवसर में बीजेपी के रेवंतराम डांगा को साफ छवि का फायदा मिल रहा है, जबकि आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल के प्रभाव के कारण मुकाबला और भी कड़ा हो गया है।चौरासी विधानसभा में बीएपी और बीजेपी के बीच मुकाबला दिखाई दे रहा है। यहाँ बीएपी के अनिल कटारा को युवाओं और आदिवासी समुदाय का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। वहीं, कांग्रेस की रेशमा मीणा का प्रभाव फिलहाल कमजोर दिख रहा है।
जीवराम ननोमा (किसान) ने कहा कि आदिवासी प्रदेश की मांग मुख्य मुद्दा बन चुका है, और जो पार्टी इस मुद्दे को हल करने का दावा करती है, उसके साथ वे खड़े हैं। रौनत रोत (नर्सिंग स्टूडेंट) का कहना है कि आदिवासी प्रदेश की मांग तो है, लेकिन इसे हकीकत में बदलने की संभावना बहुत कम है।सलूंबर सीट पर बीजेपी की शांता देवी को दिवंगत अमृतलाल मीणा की सहानुभूति का फायदा मिल रहा है, और उनकी पत्नी शांता देवी को मिल रहे समर्थन को देखते हुए चुनावी मुकाबला कड़ा हो गया है। वहीं, बीएपी के जितेश कटारा भी चुनावी मैदान में मजबूती से उतर रहे हैं।
डूंगरभाई पटेल (किसान) ने कहा कि अमृतलाल मीणा के कामों को याद किया जा रहा है, और शांता देवी को सहानुभूति का फायदा मिल सकता है। पुष्पा देवी (गृहिणी) ने स्थानीय समस्याओं पर नाराजगी जाहिर की, "सिर्फ वादे होते हैं, लेकिन पीने के पानी की समस्या अब भी बनी हुई है।" इन तीन सीटों पर राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। बीजेपी और आरएलपी के बीच खींवसर में कड़ी टक्कर है, जबकि चौरासी में बीएपी को आदिवासी समुदाय और युवाओं का समर्थन मिल रहा है। सलूंबर में सहानुभूति का फायदा बीजेपी को मिल सकता है, लेकिन बीएपी भी मजबूत चुनौती पेश कर रहा है।