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Govt Employees News: हाईकोर्ट ने आदेश किया जारी! तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ओल्ड पैंशन स्कीम का लाभ मिलेगा, जानें पूरा अपडेट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में ओल्ड पैंशन स्कीम की बहाली को लेकर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए है जो निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना विकल्प चुनने में विफल रहे थे। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने इस मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 4 मई 2023 के ज्ञापन की शर्तों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर कठोर रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
 
Govt Employees News: हाईकोर्ट ने आदेश किया जारी! तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ओल्ड पैंशन स्कीम का लाभ मिलेगा, जानें पूरा अपडेट

Govt Employees News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में ओल्ड पैंशन स्कीम की बहाली को लेकर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए है जो निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना विकल्प चुनने में विफल रहे थे। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने इस मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 4 मई 2023 के ज्ञापन की शर्तों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर कठोर रूप से लागू नहीं किया जा सकता।

क्या है मामला?

प्रदेश सरकार ने 4 मई 2023 को ओल्ड पैंशन स्कीम को लागू किया था, जिसके तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 60 दिनों के भीतर पैंशन के विकल्पों में से एक को चुनने का अवसर दिया गया था। लेकिन कई तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को इस बारे में समय पर जानकारी नहीं मिली, और वे अपनी पसंद का विकल्प नहीं चुन पाए। एक ऐसी ही याचिका, जो प्रार्थी फूलमती द्वारा दायर की गई थी, पर कोर्ट ने सुनवाई की।

हाईकोर्ट का निर्णय

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय दिया कि यदि कोई कर्मचारी 60 दिनों के भीतर विकल्प नहीं चुन पाता, तो उसे इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को यह जानकारी नहीं हो सकती कि सरकार द्वारा जारी किए गए किसी ज्ञापन के आधार पर उन्हें किसी विकल्प का चयन करना था। कोर्ट ने यह भी कहा कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को उनके नियोक्ता द्वारा ज्ञापन के बारे में सूचित किया जाना चाहिए था।

कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा

इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया कि सरकार को कर्मचारियों को जानकारी देने का जिम्मा निभाना चाहिए और यदि जानकारी देने में चूक हो, तो कर्मचारियों के खिलाफ कोई कठोर निर्णय नहीं लिया जा सकता। इस फैसले के बाद, राज्य सरकार को अब पैंशन योजनाओं के विकल्पों के बारे में अपने कर्मचारियों को बेहतर तरीके से सूचित करने की जरूरत होगी।

क्या था सरकार का पक्ष?

सरकार ने याचिकाकर्ता के पक्ष का विरोध करते हुए कहा था कि चूंकि उसने 60 दिनों के भीतर विकल्प नहीं चुना था और केवल 4 नवम्बर 2023 को अपना विकल्प प्रस्तुत किया था, इसलिए उसे पुरानी पैंशन योजना का लाभ नहीं मिल सकता। सरकार ने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय लिया और 4 नवम्बर 2023 को दिए गए विकल्प को वैध मानते हुए पैंशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय के इस निर्णय से कर्मचारियों को मिलेगा क्या लाभ?

इस फैसले से न केवल तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत मिली है, बल्कि पूरे राज्य के कर्मचारियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों को समय पर सही जानकारी दी जाए, ताकि वे अपने पैंशन विकल्पों का चयन समय पर कर सकें।