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हरियाणा हाउसिंग बोर्ड का HSVP में होगा विलय! सीएम सैनी से मिली मंजूरी 

हरियाणा राज्य में आवास नीति को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा हाउसिंग बोर्ड को समाप्त करके उसे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में विलय करने की मंजूरी दे दी है। 
 
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HSVP: हरियाणा राज्य में आवास नीति को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा हाउसिंग बोर्ड को समाप्त करके उसे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में विलय करने की मंजूरी दे दी है। 

यह परिवर्तन 31 मार्च 2025 तक प्रभावी हो जाएगा, और 1 अप्रैल 2025 से हाउसिंग बोर्ड का संचालन HSVP द्वारा किया जाएगा। इससे पहले, विधानसभा में संशोधित विधेयक या कैबिनेट मीटिंग में ऑर्डिनेंस पास किया जा सकता है, ताकि इस प्रक्रिया को कानूनी रूप से सुनिश्चित किया जा सके।

हरियाणा हाउसिंग बोर्ड की स्थापना 1971 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल ने की थी, जिसका उद्देश्य गरीबों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण आवास उपलब्ध कराना था। बोर्ड ने कई योजनाओं के तहत एक लाख से अधिक फ्लैट बनाए और बेचे।

 हालांकि, समय के साथ बोर्ड की वित्तीय स्थिति बिगड़ी और फ्लैटों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे। अब सरकार ने यह निर्णय लिया है कि हाउसिंग बोर्ड को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में मर्ज किया जाए, ताकि आवास संबंधी योजनाओं को और अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।

बोर्ड की योजनाओं में गुणवत्ता की कमी के कारण अब HSVP के तहत आवास योजनाओं को नया रूप दिया जाएगा। हाउसिंग बोर्ड के कर्मचारियों के भविष्य को लेकर सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है, जो कर्मचारियों के अधिकारों और सुविधाओं का ध्यान रखेगी। 

आवास की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, HSVP द्वारा आगामी वर्षों में नई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा, जिससे शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आवास की कमी को पूरा किया जा सके।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह स्पष्ट किया कि इस विलय का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को समान आवास अवसर उपलब्ध कराना है। यह निर्णय विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग (EWS, LIG, MIG) के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इस वर्ग के लोगों को पहले से ही सरकारी आवास योजनाओं के तहत प्राथमिकता दी जाती रही है।

हरियाणा सरकार के मुताबिक, आवास बोर्ड के विलय के बाद राज्य में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी वर्ग के लिए नई योजनाएं बनाई जाएंगी। इस प्रक्रिया से न केवल सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन बेहतर होगा, बल्कि लोगों को समय पर आवास मिलना सुनिश्चित होगा।