हरियाणा में कांग्रेस को किन कारणों से मिली हार हुड्डा ने बताई पूरी जानकारी
Haryana News : अबकी बार तो प्रदेश में कांग्रेस को लहर होने के बावजूद भी हार का सामना करना पड़ा। जिसका प्रमुख कारण नेताओं के आपसी संबंध है। यानि की गुटबाजी। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी कांग्रेस हार को पचा नहीं पा रही है। कमेटियां बनाकर हार के कारण ढ़ूढे जा रहे है। चुनाव को एक माह का समय हो गया है। लेकिन कांग्रेस अभी तक हार के कारणों को ढूंढ नहीं पाई। सिर्फ हार के कारण ढूंढने के लिए कमेटियां बनी। सबसे पहले कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में कांग्रेस की हार के कारणों को जानने के लिए केंद्रीय नेताओं की एक कमेटी बनाई।
उस कमेटी ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से बातचीत की।लेकिन फाइनल रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई। शायद हार के कारण यह कमेटी नहीं तलाश कर पाई। यहीं नहीं पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान तो कांग्रेस हाईकमान के समक्ष पेश तक नहीं हुए। राहुल गांधी खुद नेताओं के आपसी स्वार्थ को कांग्रेस की हार का कारण मान चुके है। लेकिन यह बात प्रदेश कांग्रेस के नेता मानने को तैयार नहीं। इसलिए ही कमेटी पर कमेटी बनाई जा रही है।
अब प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने हरियाणा में कांग्रेस की हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित की है।कमेटी की कमान पूर्व सीएम के समधी करण दलाल को सौंपी गई है। इसके अलावा कमेटी में कांग्रेस लीगल सेल के अध्यक्ष केसी भाटिया, आफताब अहमद, वीरेंद्र राठौड़, विजय प्रताप सिंह, वीरेंद्र बुल्ले शाह, मनीषा सांगवान और जयवीर वाल्मीकि शामिल किया गया है। अब यह कमेटी हार के कारणों की तलाश करेंगी।
इस कमेटी की रिपोर्ट में क्या निकलकर सामने आता है। यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।हरियाणा में कांग्रेस की हार के कारणों को ढूंढने के लिए जिस कमेटी का प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने गठन किया है। उसमें सैलजा गुट के किसी नेता को शामिल नहीं किया गया।
सिरसा और अंबाला से कमेटी में कोई सदस्य शामिल नहीं किया गया है। इस कमेटी में हुड्डा गुट के सदस्यों को ही जगह दी है।हरियाणा विधानसभा चुनाव में लहर कांग्रेस के पक्ष में होने के कारण पार्टी को करारी हार मिली। इसकी जांच कांग्रेस हाईकमान 2 मेंबरी फैक्ट फाइडिंग कमेटी से करवा चुका है। कमेटी में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान के कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी शामिल रहे। दोनों नेताओं ने खुद बैठकर जूम मीटिंग के जरिए एक-एक नेता से वन टु वन बात की। किसी उम्मीदवार को इसकी रिकॉर्डिंग नहीं करने दी गई। प्रदेश के 90 में से चुनाव हारे 53 नेताओं से उनकी बातचीत हुई। कमेटी ने चुनाव हारे उम्मीदवारों से 4 तरह के सवाल पूछे। जिसके बाद कमेटी ने इसकी लिखित रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें एश्ट से ज्यादा चुनाव के बीच तालमेल की कमी और गुटबाजी की वजह सामने आई थी।