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राजस्थान में मंडी हड़ताल जारी, व्यापारियों की प्रमुख मांगें और राज्य सरकार से अपील

राजस्थान में पिछले पांच दिनों से जारी मंडी हड़ताल ने प्रदेशभर में व्यापार और किसानों की स्थिति को गंभीर बना दिया है। प्रदेश की 247 मंडियों में कारोबार ठप होने से लगभग 7 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है। इस हड़ताल के चलते व्यापारियों और किसानों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है, और वे अपनी उपज को बेचने में असमर्थ हैं। व्यापारियों ने इस मुद्दे पर सरकार से अपनी मांगें दोहराई हैं और सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन भी किया है, ताकि सरकार उनकी मांगों पर विचार करे।
 
राजस्थान में मंडी हड़ताल जारी, व्यापारियों की प्रमुख मांगें और राज्य सरकार से अपील

Rajasthan News : राजस्थान में पिछले पांच दिनों से जारी मंडी हड़ताल ने प्रदेशभर में व्यापार और किसानों की स्थिति को गंभीर बना दिया है। प्रदेश की 247 मंडियों में कारोबार ठप होने से लगभग 7 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है। इस हड़ताल के चलते व्यापारियों और किसानों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है, और वे अपनी उपज को बेचने में असमर्थ हैं। व्यापारियों ने इस मुद्दे पर सरकार से अपनी मांगें दोहराई हैं और सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन भी किया है, ताकि सरकार उनकी मांगों पर विचार करे।

व्यापारियों ने सरकार के सामने ये मांगें रखी हैं

व्यापारियों ने राज्य सरकार से कृषक कल्याण फीस को समाप्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह फीस किसानों और व्यापारियों के लिए बोझ बनी हुई है।

राज्य से बाहर अन्य राज्यों में कृषि मंडी शुल्क चुकाने के बाद, राज्य में आने वाली कृषि जिन्सों पर पुनः कृषि मंडी शुल्क और कृषक कल्याण फीस नहीं लिया जाए।

व्यापारियों ने श्रीअन्न जैसे मोटे अनाज पर आढ़त को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.25 प्रतिशत करने की मांग की है।

व्यापारियों का कहना है कि फल-सब्जी मंडियों में कृषक कल्याण फीस समाप्त कर यूजर चार्ज लगाया जाए।

व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि इस विरोध को तेज करने के लिए उन्होंने सभी संभागों में सरकार से सद्बुद्धि की प्रार्थना की है। व्यापारियों और किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए व्यापार संघ ने भगवान से प्रार्थना करते हुए सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन किया। उनका कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों को मानती है, तो मंडियों में व्यापार सुचारू हो सकेगा और सभी पक्षों को लाभ होगा।

मंडी बंद होने के कारण बाजारों में खाद्य पदार्थों की कमी महसूस की जा रही है। इससे न केवल किसानों और व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोर कमेटी की मीटिंग में यह तय किया गया है कि धरना-प्रदर्शन को और तेज किया जाएगा और सम्बंधित अधिकारियों को ज्ञापन दिया जाएगा।