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सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका देने वाली है मोदी सरकार! कर्मियों को डबल सैलरी के बजाय करना पड़ सकता है जोरदार घाटे का सामना, जानें 

आठवें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी के बाद, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनकी सैलरी और पेंशन में कितना इजाफा होगा। इस समय सबसे बड़ी बहस फिटमेंट फैक्टर को लेकर हो रही है, जो सरकारी कर्मियों और पेंशनभोगियों के वेतन व पेंशन को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
 
 8th Pay Commission

 8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी के बाद, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनकी सैलरी और पेंशन में कितना इजाफा होगा। इस समय सबसे बड़ी बहस फिटमेंट फैक्टर को लेकर हो रही है, जो सरकारी कर्मियों और पेंशनभोगियों के वेतन व पेंशन को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

फिटमेंट फैक्टर का मतलब है, वह गुणांक जिसके आधार पर सरकारी कर्मचारियों का वेतन और पेंशन बढ़ाया जाता है। पिछली बार 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था। अब, एनसी-जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.57 या उससे अधिक होना चाहिए, ताकि कर्मचारियों को उचित वेतन बढ़ोतरी मिल सके।

हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने मौजूदा महंगाई का हवाला देते हुए कहा था कि श्रमिकों के वेतन में उचित बढ़ोतरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'पिछले वेतन आयोग ने 2.57 का समायोजन कारक बनाए रखा था, तो इस बार यह उससे कम कैसे है?'

एनसी-जेसीएम सचिव ने कहा कि हम 2.86 समायोजन कारक की मांग करेंगे। अगर सरकार इसे मंजूरी दे देती है तो न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 51,400 रुपये हो जाएगा। और न्यूनतम पेंशन 9000 रुपये से बढ़कर 36000 रुपये हो जाएगी।

सातवें वेतन आयोग की वार्ता में शामिल रहे शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि सातवें वेतन आयोग ने 1957 के भारतीय श्रम सम्मेलन और डॉ. अरुण कुमार के न्यूनतम जीवन निर्वाह वेतन फार्मूले के आधार पर 2.57 का समायोजन फैक्टर तय किया था। एक्रोयड.

अब सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को हरी झंडी दे दी है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फैसला कर्मचारियों के कितना हित में होता है। आने वाले महीनों में इस मामले पर चर्चाएं तेज होंगी और लाखों सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद है कि इस बार उनकी कड़ी मेहनत और बढ़ती महंगाई को देखते हुए उन्हें उचित वेतन वृद्धि मिलेगी।

लेकिन मिश्रा का कहना है कि ये फार्मूले अब पुराने हो चुके हैं। आज मुद्रास्फीति बहुत अधिक है, इसलिए सरकार को समायोजन कारक को 2.57 से कम नहीं रखना चाहिए। यदि 8वां वेतन आयोग 2.57 के समायोजन कारक की सिफारिश करता है, तो न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 46,260 रुपये हो सकता है, जबकि न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 23,130 रुपये हो सकती है।