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अब शेखावाटी की जमीन से निकला सोना! राजस्थान को मिलेगा 577 MCM यमुना का पानी 

 
Rajasthan News: 

Rajasthan News: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) ने कहा कि वर्षों से लंबित ऐतिहासिक ताजेवाला हेडवर्क्स समझौते से शेखावाटी क्षेत्र के लोगों को पेयजल और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और यह भूमि सोना भी उगलेगी। उन्होंने आश्वासन दिया (Development in Rajasthan) कि हमारी डबल इंजन सरकार चार महीने में यमुना जल समझौते के पहले चरण में पेयजल के लिए डीपीआर तैयार करेगी और अपने कार्यकाल के दौरान शेखावाटी में पानी पहुंचाएगी।

मुख्यमंत्री ने शेखावाटी क्षेत्र के नीमका थाना ( Neemka Police ) और झुंझुनू ( Jhunjhunu ) में आयोजित यमुना जल समझौता धन्यवाद सभा को संबोधित किया. ताजेवाला हेडवर्क्स से जुड़े ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद मुख्यमंत्री ने खेतड़ी नगर, नवलगढ़ और श्रीमाधोपुर का दौरा किया. वहां जगह-जगह लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया और फूल-मालाएं पहनाकर उनका आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यमुना जल बंटवारा समझौता 1994 से लंबित था। पिछली सरकार ने इसका केवल राजनीतिकरण किया और शेखावाटी अंचल की गंभीर पेयजल समस्या पर कभी ध्यान नहीं दिया। यह समझौता शेखावाटी के लोगों के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य के लोगों को 1994 में यमुना जल समझौते में राजस्थान के लिए किए गए वादे का पूरा पानी मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से प्रदेश के चार जिलों सीकर, चूरू, झुंझुनूं एवं नीमकाथाना को तीन पाइपलाइनों के माध्यम से यमुना नदी का पानी उपलब्ध होगा. इसके तहत राजस्थान को ताजेवाला हेड पर मानसून के दौरान उसके हिस्से का 577 एमसीएम (million cubic meters) पानी मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिकता से कार्य कर रही है। इस दिशा में हमारी सरकार ने अपने गठन के दो महीने के भीतर ही ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दो बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। यमुना जल समझौते से शेखावाटी क्षेत्र के लोगों की तीन दशक पुरानी मांग पूरी हो गई है। साथ ही, केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और राजस्थान सरकार के बीच एकीकृत ईआरसीपी के मूर्त रूप लेने से पूर्वी राजस्थान में पीने और सिंचाई के लिए प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में उदयपुर में देवास तृतीय एवं चतुर्थ परियोजना का शिलान्यास किया गया है, जिससे आने वाले समय में उदयपुर की झीलों में जल उपलब्धता के साथ-साथ पेयजल समस्या का भी समाधान होगा।