राजस्थान में दिवाली के दिन इस जिलें में मिठाई की जगह बांटा जाता हैं गुड, जानें वजह

Rajasthan News : गुरुवार को उन्होंने छांट भरकर यानी की जल भरकर अपने पितरों को धूप लगाई। इस परंपरा के तहत दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के बाद गुर्जर समाज के लोग अपने गांव के तालाब पर एकत्रित होते हैं और अपने पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए छांट भरकर उनका तर्पण करते हैं, जबकि यह परंपरा अन्य समाज के लोग श्राद्ध पक्ष में पूर्ण करते हैं।ग्राम मोलकिया के सरपंच शैतान गुर्जर ने बताया कि गुर्जर समाज की यह परंपरा अनूठी और सदियों पुरानी है, जिसमें दीपावली से एक दिन पहले ही इस अनुष्ठान की पूरी तैयारी कर ली जाती है।
गुर्जर समाज के लोग इस दिन पितरों को खीर-चूरमे का भोग अर्पित करते हैं। यह भोग लगाने के बाद ही वे भोजन ग्रहण करते हैं। इस पर्व पर समाज के लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही नए जन्मे बच्चों का स्वागत भी करते है। छांट भरने के बाद नवजात के आगमन की खुशी में एक-दूसरे को गुड़ बांटा जाता है।दीपावली के दिन सुबह से छांट भरने तक समाज के लोग व्रत रखते हैं। सुबह सभी परिवार तालाब के किनारे इकट्ठा होते हैं, थालियों में फुलके, खीर और अन्य पारंपरिक भोजन साथ लाते हैं।
पारंपरिक वेशभूषा में सजे समाज के लोग भोग अर्पित कर पितरों का स्मरण करते हैं। इस दौरान आंधी-झाड़ा की बेल लेकर लंबी कतार में तर्पण किया जाता है, और भोजन को जलचर जीवों के लिए जल में अर्पित किया जाता है। समाज के मदन गुर्जर ने बताया कि जिस तालाब से छांट भरते हैं, वहां से पवित्र जल घर लाकर छिड़का जाता है। इस अनुष्ठान में नवजात बच्चों को भी शामिल किया जाता है, जहां उनका एक हाथ बैल पर रखवाया जाता है ताकि वे समृद्धि और परंपरागत संस्कारों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।