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अब राजस्थान में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में नहीं किया जाएगा रैफर, जानिए क्या हैं सरकार का नया नियम 

राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसमें सरकारी डॉक्टरों को बिना उचित कारण मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रेफर करने से रोकने के निर्देश दिए गए हैं। यदि किसी डॉक्टर के खिलाफ जबरन निजी अस्पताल भेजने की शिकायत मिलती है, तो उस डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह घोषणा प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विधानसभा सत्र के दौरान की।
 
अब राजस्थान में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में नहीं किया जाएगा रैफर, जानिए क्या हैं सरकार का नया नियम 

Rajasthan News : राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसमें सरकारी डॉक्टरों को बिना उचित कारण मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रेफर करने से रोकने के निर्देश दिए गए हैं। यदि किसी डॉक्टर के खिलाफ जबरन निजी अस्पताल भेजने की शिकायत मिलती है, तो उस डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह घोषणा प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विधानसभा सत्र के दौरान की।

क्या है फैसला?

विधानसभा सत्र के दौरान, गजेंद्र सिंह खींवसर ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर किसी सरकारी डॉक्टर के खिलाफ यह आरोप है कि उन्होंने मरीज को अनावश्यक रूप से प्राइवेट अस्पताल में रेफर किया है, तो सरकार ऐसे डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करेगी। मंत्री ने इस दिशा में सरकार की सख्त नीति को स्पष्ट किया और कहा कि शिकायत मिलने पर कोई भी डॉक्टर बच नहीं पाएगा।

शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई

चिकित्सा मंत्री ने कहा, "यदि किसी डॉक्टर द्वारा बिना उचित कारण के मरीज को निजी अस्पताल में भेजा जाता है और इसकी शिकायत की जाती है, तो हम इस मामले में सख्त कार्रवाई करेंगे। यह फैसला राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।" इससे यह साफ होता है कि अब सरकारी डॉक्टरों को मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ सरकारी अस्पतालों की सेवाओं पर निर्भर रहना होगा, और निजी अस्पतालों को रेफर करने की स्थिति में उन्हें पर्याप्त कारण देना होगा।

पीपीपी मोड पर कोई योजना नहीं

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान राज्य सरकार पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर चिकित्सा संस्थानों को संचालित करने की योजना नहीं बना रही है। वर्ष 2021 में पूर्व सरकार द्वारा चिकित्सा संस्थानों को पीपीपी मोड पर देने की प्रक्रिया बंद कर दी गई थी। राज्य सरकार पहले पीपीपी मोड पर संचालित चिकित्सा संस्थानों में प्रति माह 1.80 लाख से 2.50 लाख रुपये तक खर्च कर रही थी। अब, सरकार की नई नीति के अनुसार, राज्य में चिकित्सा संस्थानों को पीपीपी मोड पर नहीं चलाया जाएगा, जिससे सरकारी अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

भरतपुर में कोई पीपीपी मोड पर अस्पताल नहीं

इस समय, राजस्थान के भरतपुर जिले में कोई भी चिकित्सा संस्थान पीपीपी मोड पर संचालित नहीं हो रहा है, जो इस निर्णय का एक सकारात्मक पहलू है। इसके साथ ही, सरकार की कोशिश है कि सरकारी अस्पतालों की सेवाओं को सुदृढ़ किया जाए ताकि मरीजों को निजी अस्पतालों में जाने की आवश्यकता न पड़े।