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यूपी बिजली के स्मार्ट मीटर के कारण लोगों को हो रही बीमारिया, आखिर स्मार्ट मीटर में लगी चिप शरीर मे क्या कर सकती है नुकसान

 
UP News :

UP News : उत्तर प्रदेश को कोचिंग के घर में लगे स्मार्ट स्टार्च मीटर उनकी बीमारी का कारण बन रहे हैं। स्मार्ट मीटर में लगी चिप से जो विकिरण तरंगें निकल रही हैं वे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। इससे लोग बीमारी का शिकार हो रहे हैं।

इसका कारण यह है कि पावर कारपोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों को आदेश दिया है कि चिप्स के घर में रहने वाले सभी स्मार्ट टार्गेट मीटरों को अब अनिवार्य रूप से टार्क उपकरण मॉडम, आईओटी गेटवे मिरलेफिक, एस्टीम लाइन और स्ट्रेंथ केबल की डेटशीट के रूप में दिया जाए। बिना परीक्षण के घर में मीटर का आकलन नहीं किया जा सकता।


भारत सरकार की ओर से इस कानून को अक्टूबर 2023 में उपभोक्ता परिषद ने बनाया था। बिजली कंपनियों से इसे अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग की गई थी। आखिरकार अब उत्तर प्रदेश विद्युत निगम की ओर से निदेशक वाणिज्य ने सभी बिजली कंपनियों के लिए भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय और दूरसंचार केंद्रीय सचिव की ओर से निर्देशों के आधार पर व्यवस्था को लागू करने का आदेश जारी कर दिया है।

सभी बिजली एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने स्तर से भी इस बारे में जानकारी प्राप्त करें। सभी को पता है कि स्मार्ट सिग्नल मीटर में कम्युनिकेशन के लिए सिम कार्ड लगता है, मॉडम लगता है और उसके बाद ऑटोमेटिक तरीकों से काम करना शुरू हो जाता है। इससे यह बात तो सिद्ध हो गई कि टेलीकॉम से संबंधित नेटवर्किंग के सभी आवश्यक उपाय होने चाहिए, जैसा कि भारत सरकार ने प्रस्तावित किया है।


स्मार्ट मीटर लीज के बाद उसके गियर वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी कामचलाऊ तरंगों से आम जनता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ रहा है? ई-सिस्टम ठीक है? नेटवर्किंग सिस्टम फ्रेमवर्क के अंतर्गत है? इन बोस को कौन परखेगा? उनके लिए संचार मंत्रालय ने भारत सरकार के केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के पत्र में कहा है कि स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर में लीज वाले मॉडेम आईओटी गेटवे मेट्रिक्स एस्टिमिएंट लाइन शामिल हैं, जिसमें स्थिर केबल शामिल हैं, जिसमें सभी टेलीकॉम नेटवर्किंग से संबंधित टेलीकॉम उत्पाद शामिल हैं, एक जनवरी से डेटा परीक्षण और सर्ट किचन ऑफ टेस्ला इक्विपमेंट की व्यवस्था करना अनिवार्य है।

यानी सभी स्मार्ट मीटर बिल्डर्स जिन भी मीटर निर्माता कंपनियों से मीटर लेकर आर्किटेक्चर के परिसर पर लगेंगे, सबसे पहले दूरसंचार विभाग से मैं डेटरी मूल्यांकन करना अनिवार्य होगा। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अजित कुमार वर्मा बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटर की कीमत घटिया गुणवत्ता के मीटर बना रहे हैं और कमीशन के चक्कर में जोशीले मॉडम ने चिप सगाई दर पर बिचौलिया यी कि स्मार्ट मीटर का स्वाद चखा है। लेने वाले उद्योग उद्यमों को बेच रहे हैं.


कहीं न कहीं यह खामियाज प्रदेश की जनता के लिए आदर्श है। अब जब सभी मीटर निर्माता कंपनी अपने मोटोरोला उत्पादों की टेस्टिंग करना चाहेगी, तब यह खुलासा होगा कि स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी की तरफ से मीटर के बराबर वाली चिप और चीनी के अंदर मॉडेम को या सस्ती क्वालिटी का खरीदकर नहीं लगाया गया है। ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे पहले जो रेडीकेशन है उससे आम जनमानस और किताबों पर बुरा असर पड़ता है।

बिजली चमकाने से बंद हो गए थे स्मार्ट मीटर-

पिछले साल जब मौसम खराब हुआ तो आकाश में बिजली चमकी तो हजारों स्मार्ट मीटर बंद हो गए। ऐसे में यह बात साबित हो गई कि इसकी रेड सिग्नल बहुत शक्तिशाली है, क्योंकि बिजली चमकाने से मोबाइल तो बंद नहीं होती थी, इसमें रेड सप्लाई भी शामिल है, इसलिए स्मार्ट मीटर से रेड सिग्नल का उल्टा असर आम जनता पर पड़ता है, इसलिए एक जनवरी सर्ट एसोसिएटेड जाने का अनिवार्य रूप से आदेश दिया गया है। इस सार्ट से यह भी सिद्ध हो जाएगा कि स्मार्ट मीटर की तकनीक पुरानी होगी तो क्या वह भारतीय मानक के अनुसार सुरक्षित है।