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राजस्थान उपचुनाव की वोटिंग के दौरान हुआ झगड़ा, एसडीएम को मारा थपड 

राजस्थान में 13 नवंबर 2024 को हुए उपचुनाव में सात विधानसभा सीटों पर मतदान समाप्त हो गया, जिसमें कुल 69.29% मतदान हुआ। इन सीटों पर खींवसर में सबसे ज्यादा 75.62% और दौसा में सबसे कम 62.10% मतदान हुआ। अन्य सीटों पर मतदान प्रतिशत निम्नलिखित रहा:
 
राजस्थान उपचुनाव की वोटिंग के दौरान हुआ झगड़ा, एसडीएम को मारा थपड

Rajatshan News : राजस्थान में 13 नवंबर 2024 को हुए उपचुनाव में सात विधानसभा सीटों पर मतदान समाप्त हो गया, जिसमें कुल 69.29% मतदान हुआ। इन सीटों पर खींवसर में सबसे ज्यादा 75.62% और दौसा में सबसे कम 62.10% मतदान हुआ। अन्य सीटों पर मतदान प्रतिशत निम्नलिखित रहा:

रामगढ़: 75.27%
झुंझुनूं: 65.80%
देवली-उनियारा: 66.51%
सलूंबर: 71.00%
चौरासी: 68.50%

वोटिंग के दौरान कई विवादों और घटनाओं ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया। देवली-उनियारा क्षेत्र के समरावता में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ मारा और प्रशासनिक अधिकारियों से हाथापाई की। मीणा का आरोप था कि प्रशासन लोगों को धमकाकर वोट डालने के लिए मजबूर कर रहा था। इसके बाद समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया और गाड़ियों में आग लगा दी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया।

झुंझुनूं के कलां गांव में भी फर्जी वोटिंग का विवाद हुआ, जब निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र गुढ़ा के एजेंट ने दूसरे प्रत्याशी के फर्जी वोटरों को रोकने की कोशिश की, जिससे मारपीट हो गई। पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने प्रशासन पर फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया।

खींवसर में कांग्रेस प्रत्याशी रतन चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके ऊपर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की।इसके अलावा, सलूंबर में जयसमंद झील के टापुओं से परिवार नाव में सवार होकर वोट डालने पहुंचे। झुंझुनूं में 101 साल की लाडो देवी ने अपने परपोते की मदद से मतदान केंद्र तक पहुंचकर वोट डाला, यह एक प्रेरणादायक दृश्य था।इन उपचुनावों में कांटे की टक्कर रही, खासकर खींवसर, सलूंबर, चौरासी, देवली-उनियारा, और झुंझुनूं सीटों पर। इन चुनावों में प्रमुख नेताओं जैसे हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी लाल मीणा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी, क्योंकि खींवसर से बेनीवाल की पत्नी और दौसा से मीणा के भाई चुनावी मैदान में थे।

मतगणना 23 नवंबर 2024 को होगी, जिसके बाद परिणाम सामने आएंगे, जो आगामी विधानसभा चुनावों में सियासी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।