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भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ जुड़ रही 'शारदा-यमुना-साबरमती लिंक परियोजना' फटाफट देखे पूरी जानकारी

 
Sharda-Yamuna-Sabarmati Link Project':

Sharda-Yamuna-Sabarmati Link Project': भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने 'शारदा-यमुना-साबरमती लिंक परियोजना' को हरी झंडी मिलाने का आलंब दिया है। इस परियोजना के माध्यम से नदियों की जल संसाधनों को संबंधित राज्यों में पहुँचाया जाएगा, जो एक महत्वपूर्ण और स्थायी समाधान हो सकता है। शारदा-यमुना-साबरमती लिंक परियोजना' भारतीय जल संसाधनों को सुधारने और राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह प्रकल्प सिंचाई, पेयजल, और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास है, जो भारत के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

शारदा-यमुना-साबरमती लिंक परियोजना: एक महत्वपूर्ण उद्देश्य इस परियोजना का उद्देश्य नदियों के जल संसाधनों को संबंधित राज्यों तक पहुँचाना है, ताकि सिंचाई और पेयजल के अभाव को कम किया जा सके। यह परियोजना नेपाल से लेकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात तक बड़ी स्थानीय नदियों को जोड़ने का प्रयास कर रही है। इससे न केवल सिंचाई में वृद्धि होगी, बल्कि पेयजल की आपूर्ति में भी सुधार होगा।

प्रमुख फायदे: यह परियोजना राज्यों में कई महत्वपूर्ण फायदों के साथ आती है:

  • सिंचाई में वृद्धि: परियोजना से कृषि क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और खेती में वृद्धि होगी।
  • पेयजल की आपूर्ति: बड़ी स्थानीय नदियों के जल का उपयोग पेयजल की आपूर्ति के लिए किया जा सकेगा, जिससे जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ जल संकट का भी समाधान हो सकेगा।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटना: परियोजना से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए नदियों के पानी का सही उपयोग किया जा सकेगा।
  • राज्यों के विकास में सहायक: यह परियोजना उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सहायक साबित हो सकती है, क्योंकि सिंचाई से लेकर पेयजल तक कई क्षेत्रों में सुधार होगा।

Sharda-Yamuna-Sabarmati Canal Link Project : भारत के विभिन्न राज्यों में सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति की कमी के चलते किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण भी नदियों की स्थिति खराब हो रही है। इस परियोजना से यह समस्याओं का समाधान हो सकता है और राज्यों के विकास में मदद मिल सकती है।

'शारदा-यमुना-साबरमती लिंक परियोजना' भारत की जल संसाधनों को संबंधित राज्यों में पहुँचाने की महत्वपूर्ण पहल है। यह परियोजना सिंचाई, पेयजल, और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं का समाधान हो सकता है और राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जब सरकारें साथ मिलकर इस प्रकल्प को पूरी तरह से अंजाम देंगी, तब ही यह परियोजना अपने असली मकसद में सफल हो सकेगी।

शारदा-यमुना-साबरमती लिंक परियोजना' भारतीय जल संसाधनों को सुधारने और राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह प्रकल्प सिंचाई, पेयजल, और जलवायु  ( Sharda-Yamuna-Sabarmati Canal Link Project )परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास है, जो भारत के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार ने नेपाल के समझौते के बाद शारदा-यमुना साबरमती नहर परियोजना की 1835 किमी लंबी पहली चरण में सर्वे को पूरा किया है। इस परियोजना के माध्यम से नदियों के पानी का बेहतर उपयोग होगा और उद्यमियों और किसानों को नये अवसर मिलेंगे।

परियोजना के महत्वपूर्ण पहलू

1. नदी जोड़ों का सुखद प्रयोग

राष्ट्रीय नदी जोड़ों के अंतर्गत शारदा-यमुना साबरमती नहर परियोजना अपने महत्वपूर्ण पहलू से उच्चतम परियोजनाओं में से एक है। यह परियोजना नदियों के पानी का सही उपयोग सुनिश्चित करेगी और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाएगी।

2. उद्यमियों के लिए नए अवसर

नहर परियोजना के प्रारंभ से ही, कंडेला औद्योगिक क्षेत्र में आने से उद्यमियों में बेचैनी है। यह परियोजना न केवल नदियों के पानी के उपयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि उद्योगिक विकास के अवसर भी प्रदान करेगी।

3. सामर्थ्य और पर्यावरण का संरक्षण

परियोजना के रूपरेखा में, नहर की चौड़ाई और उपयोगी भूमि की अधिग्रहण की गई है। इससे पर्यावरण का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा, क्योंकि नदियों के पानी का उचित उपयोग होने वाला है।

परियोजना के चरण और प्रगति

शारदा-यमुना साबरमती नहर परियोजना का पहला चरण 384 किमी की लंबाई के साथ उत्तराखंड के टनकपुर से कैराना यमुना नदी के पुल तक पूरा किया गया है। दूसरे चरण के ड्रोन सर्वेक्षण और पिलर लगाने का कार्य जयपुर राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण करेगा।

उपायुक्त एलाइनमेंट का महत्व

परियोजना के सफलतापूर्वक लागू करने के लिए, एलाइनमेंट की सही योजना बहुत महत्वपूर्ण है। उद्यमियों और किसानों की भूमि की सुरक्षा के लिए एलाइनमेंट को विचारणीय बनाना होगा।

नहर परियोजना के मुख्य लाभ

  • नदियों के पानी का बेहतर उपयोग: परियोजना से नदियों के पानी का सही उपयोग होगा, जिससे जलसंसाधन की सुरक्षा होगी और समृद्धि में सहायक होगा।

  • उद्यमियों के लिए नए अवसर: प्रोजेक्ट के आगमन से उद्यमियों को नए विकास के अवसर मिलेंगे, जो उनके व्यवसाय को मजबूत करेंगे।

  • पर्यावरण संरक्षण: नहर के सही उपयोग से पर्यावरण की सुरक्षा होगी और उसके संरक्षण में मदद मिलेगी।

शारदा-यमुना साबरमती नहर परियोजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जो नदियों के पानी का सही और उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। इस परियोजना से उद्यमियों को नए अवसर मिलेंगे और पर्यावरण की सुरक्षा होगी। एक सफल परियोजना के रूप में, एलाइनमेंट की सही योजना और सहयोगी समझ बहुत महत्वपूर्ण हैं।

इस नहर के निर्माण से शारदा नदी नेपाल बॉर्डर से लेकर बिजनौर के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के गांवों को होकर यमुना नदी में जोड़ी जाएगी। जिससे बिजनौर के कई गांव पूरी तरह से खत्म हो( sharda yamuna sabarmati link project map)जाएंगे। इस नहर में लगभग 12 हजार मिलियन क्यूसेक पानी हर समय चलेगा। नहर की चौड़ाई करीब 600 मीटर तथा लंबाई करीब 386 किलोमीटर होगी। इस परियोजना के लिए ड्रोन से भी सर्वे किया जा रहा है ताकि नहर के रूपरेखा को सुनिश्चित किया जा सके।

भारत सरकार (sharda yamuna link project in hindi)नदियों को आपस में जोड़ने के लिए एक बड़ी परियोजना विचार कर रही है। इसी क्रम में शारदा और साबरमती नदी को जोड़ने की परियोजना तैयार की जा रही है। इस परियोजना के तहत एक बड़ी नहर का निर्माण होने की संभावना है जो नेपाल की शारदा नदी को यमुना और गुजरात की साबरमती नदी से जोड़ेगी। यह परियोजना किसी निश्चित समयखंड में नहीं है लेकिन इसके विरोध की आवाज बड़ने लगी है।

 इस नहर के निर्माण से शारदा नदी नेपाल बॉर्डर से लेकर बिजनौर के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के गांवों को होकर यमुना नदी में जोड़ी जाएगी। जिससे बिजनौर के कई गांव पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे। इस नहर में लगभग 12 हजार मिलियन (sharda yamuna link canal project)क्यूसेक पानी हर समय चलेगा। नहर की चौड़ाई करीब 600 मीटर तथा लंबाई करीब 386 किलोमीटर होगी। इस परियोजना के लिए ड्रोन से भी सर्वे किया जा रहा है ताकि नहर के रूपरेखा को सुनिश्चित किया जा सके।

भारत के बंटवारे के वक्त सिख समुदाय के काफी लोग पाकिस्तान से आकर बिजनौर के अफजलगढ़, कादरादाबाद और बढ़ापुर के जंगलों में बस गए थे। अब इस नहर परियोजना से इनके(sharda yamuna link project muzaffarnagar)गांवों को फिर से विस्थापित होने का डर सता रहा है। सिख समाज के लोगों का मानना है कि जो हाल उनका बंटवारे के दौरान हुआ था वही हाल नहर निर्माण से हो सकता है।

शादीपुर के आसपास भी लगाए जा रहे निशान

गांव शादीपुर, जीवनपुर, नूर अलीपुर भगवंत उर्फ डेहरी, पैहरूवाला समेत आसपास के कई गांवों और उनसे जुड़े कृषि भूभाग पर चिह्नांकन का कार्य किया गया है। चिह्नांकन कर रही टीम ने ग्रामीणों को बताया कि यह कार्य शारदा-साबरमती लिंक परियोजना के लिए किया जा रहा है। ग्राम पंचायत शादीपुर के अंतर्गत गांव पीपलसाना इस परियोजना की जद में आ रहा सकता है। गांव के उत्तर और दक्षिण ने निशान लगाए गए हैं। इसके साथ ही खेतों को भी चिह्नित किया गया है। ग्रामीण वरुण कुमार ने बताया कि उनके खेतों के आसपास भी निशान लगाए गए हैं।

 नहर के निर्माण के संबंध में गांव भोगपुर और कुआंखेड़ा के प्रधानों ने बताया कि इस परियोजना से उनके गांवों को प्रभावित होने का आशंका है। इससे कई गांव बिलकुल खत्म हो जाएंगे और लोगों को पुनर्वास के लिए दूसरी जगह ढूंढने की मुश्किल होगी। इसके साथ ही, पाकिस्तान से आकर बिजनौर के अफजलगढ़, कादरादाबाद और बढ़ापुर के जंगलों में बसे हुए शरणार्थियों को भी इस परियोजना का असर महसूस होगा।

गांव भोगपुर निवासी ग्राम प्रधान मंगतराम कांबोज और कुआंखेड़ा के प्रधान सतपाल सिंह ने बताया कि नेपाल बॉर्डर से शुरू होने वाली शारदा नदी को बिजनौर से होकर यमुना नदी में जोड़ने के लिए एक परियोजना बनी है। यह नहर नेपाल बॉर्डर से होकर बिजनौर के थाना बढ़ापुर क्षेत्र के गांव कुआंखेड़ा, भोगपुर, वीरभान वाला, टांडा साहूवाला, मीठोपुर सहित अन्य कई गांवों से होकर गुजरेगी। जिससे प्रभावित होकर बिजनौर के कई दर्जन गांव पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।

इस नहर में लगभग 12 हजार मिलियन क्यूसेक पानी हर समय चलेगा। इसकी चौड़ाई करीब 600 मीटर तथा लंबाई करीब 386 किलोमीटर रहेगी।कालागढ़-शेरगढ़ खदरी बिजली उत्पादन के लिए डैम बनाए जाने की बात भी कही जा रही है। (sharda yamuna sabarmati link project map pdf)उन्होंने बताया कि कुआंखेड़ा, वीरभान, भोगपुर पहले ही वन से घिरे होकर बाढ़ ग्रस्त रहते हैं। हिमालय से आने वाली इस नहर को तटबंध से रोक दिया जाएगा। जिससे क्षेत्र के कई गांव जलमग्न रहेंगे।
 गांव-गांव होने लगीं पंचायतें

क्षेत्रवासियों की ओर से गांव-गांव में पंचायतें होने लगी हैं। साथ ही एक महापंचायत की तैयारी की जा रही है। इसी क्रम में गांव कुआंखेड़ा, भोगपुर में पंचायत के बाद गांव बुधवार को वीरभान में पंचायत की गई। बैठक में ग्रामीणों ने शारदा नदी का रुख मोड़कर किसी अन्य क्षेत्र से निकाले जाने पर विचार रखे। मुख्यमंत्री से मिलकर अपने हक में गुहार लगाने पर चर्चा की गई।

शारदा-साबरमती परियोजना के माध्यम से नेपाल की शारदा और गुजरात की साबरमती नदी को जोड़ने के प्रयास के पीछे कई उद्देश्य हैं। इस परियोजना से नदियों के पानी का संचय होगा और कृषि और पेयजल के लिए समृद्धि बढ़ेगी। इससे राजस्थान के सुकली नदी