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राजस्थान में इन पर होगी कड़ी कार्यवाही, हाईकोर्ट का अहम फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को 30 दिन से अधिक समय तक Awaiting Posting Orders (एपीओ) पर नहीं रखा जा सकता। यह आदेश खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, जो एपीओ की वजह से अनिश्चितता का सामना कर रहे थे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एपीओ का इस्तेमाल ट्रांसफर या दंड के रूप में नहीं किया जा सकता।
 
राजस्थान में इन पर होगी कड़ी कार्यवाही, हाईकोर्ट का अहम फैसला

Rajasthan News : राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को 30 दिन से अधिक समय तक Awaiting Posting Orders (एपीओ) पर नहीं रखा जा सकता। यह आदेश खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, जो एपीओ की वजह से अनिश्चितता का सामना कर रहे थे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एपीओ का इस्तेमाल ट्रांसफर या दंड के रूप में नहीं किया जा सकता।

एपीओ का नया आदेश और राहत

इस आदेश के बाद, राजस्थान राज्य सरकार के कर्मचारियों को राहत मिली है, क्योंकि अब एपीओ की अवधि को 30 दिन से अधिक बढ़ाया नहीं जा सकेगा। इसके अलावा, राज्य सरकार को यह निर्देश दिया गया है कि वे नए प्रशासनिक आदेश जारी करें। कोर्ट के इस आदेश से कई कर्मचारियों को राहत मिली है, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, गणराज विश्नोई, डॉ. मांगीलाल सोनी, और लक्ष्मीनारायण कुम्हार शामिल हैं।

कोर्ट ने दिए निर्देश, कर्मचारियों को मिली राहत

जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने इस फैसले के तहत मुख्य सचिव को नए प्रशासनिक आदेश जारी करने का निर्देश दिया। इससे कई कर्मचारियों को राहत मिली, जिनकी नियुक्तियों और ट्रांसफर को लेकर असमंजस था।

डॉ. दिलीप सिंह चौधरी का मामला

डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, जो 2015 से चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्त थे, ने कोर्ट में पेश होकर अपनी स्थिति रखी। उन्हें 6 साल की सेवा के बाद भोपालगढ़ में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन 19 फरवरी 2024 को उन्हें एपीओ कर दिया गया था, ताकि जूनियर चिकित्सा अधिकारियों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया जा सके। इस फैसले के बाद, कोर्ट ने एपीओ आदेश पर रोक लगा दी और उन्हें राहत प्रदान की।

एपीओ के बारे में राज्य सरकार का तर्क

राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि एपीओ का आदेश प्रशासनिक आवश्यकता और जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और एपीओ की अधिकतम अवधि 30 दिन तक सीमित करने का आदेश दिया।