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राजस्थान में पराली जलाने से हुआ नुकसान, कृषि विभाग ने दी सलाह 

हनुमानगढ़ जिले में अब तक 60 हजार से अधिक क्षेत्र में सरसों की बिजाई हो चुकी है। मौसम का पारा थोड़ा गिरने पर अब गेहूं की बिजाई भी शुरू कर दी गई है। इस बीच कृषि विभाग के अधिकारी कम सिंचाई पानी वाली फसलों की बिजाई करने की सलाह दे रहे हैं। इधर धान उत्पादक किसान लगातार खेतों में पराली जला रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर इनसे समझाइश के प्रयास चल रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह है कि किसान पराली को खेतों में नहीं जलाएं। पशु चारे के रूप में इसका विकल्प बनाएं। 
 
राजस्थान में पराली जलाने से हुआ नुकसान, कृषि विभाग ने दी सलाह 

Rajasthan News : हनुमानगढ़ जिले में अब तक 60 हजार से अधिक क्षेत्र में सरसों की बिजाई हो चुकी है। मौसम का पारा थोड़ा गिरने पर अब गेहूं की बिजाई भी शुरू कर दी गई है। इस बीच कृषि विभाग के अधिकारी कम सिंचाई पानी वाली फसलों की बिजाई करने की सलाह दे रहे हैं। इधर धान उत्पादक किसान लगातार खेतों में पराली जला रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर इनसे समझाइश के प्रयास चल रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह है कि किसान पराली को खेतों में नहीं जलाएं। पशु चारे के रूप में इसका विकल्प बनाएं। 

ताकि मिट्टी की सेहत भी नासाज नहीं बने।जानकारी के अनुसार खेत में पराली जलाने से कई तरह के मित्र कीट जलकर राख हो रहे हैं। जबकि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए इन मित्र कीटों का मिट्टी में रहना आवश्यक होता है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि लंबे समय तक अच्छी पैदावार लेने के लिए खेतों में पराली को नहीं जलाएं। 

इससे मिट्टी की सेहत भी दुरुस्त रहेगी।सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हमारे आसपास के मिट्टी की सेहत लगातार बिगड़ रही है। विद्युत चालकता और पीएच मान में बढ़ोतरी होने से भविष्य में उर्वरा शक्ति प्रभावित होने का खतरा भी मंडराने लगा है। ऐसे वक्त में किसानों को समझ से काम लेने की जरूरत है। ताकि भविष्य में भी भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रह सके।