बिना खाद दवाई ऐसे करें गन्ने की खेती, कम लागत में होगा तगड़ा मुनाफा

Kisaan News : आजकल कृषि क्षेत्र में नई-नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जो किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं। इन तकनीकों के माध्यम से उत्पादन में वृद्धि, कीटनाशकों पर खर्च में कमी, और फसल की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। इसी कड़ी में चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार से एक नई और अत्याधुनिक तकनीक का आगमन हुआ है, जिसे टिशू कल्चर कहते हैं। इस तकनीक से किसान बिना मिट्टी और खाद के पौधे तैयार कर सकेंगे, जो उन्हें बेहतरीन मुनाफा देंगे।
टिशू कल्चर से क्या मिलेगा किसानों को?
टिशू कल्चर एक ऐसी तकनीक है, जिसके माध्यम से पौधों को बिना मिट्टी के तैयार किया जा सकता है। HAU के टिशू कल्चर लैब में यह तकनीक गन्ने, केला, ब्राह्मी, एलोवेरा, मुलेठी, और स्ट्रॉबेरी जैसे पौधों के लिए अपनाई जा रही है। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पौधे रोगमुक्त होते हैं, जिससे किसानों को कीटनाशकों पर खर्च करने की आवश्यकता नहीं रहती। इसके अलावा, ये पौधे समान गुणधर्म वाले होते हैं, जिससे उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
टिशू कल्चर तकनीक की प्रक्रिया
टिशू कल्चर की प्रक्रिया में, किसी पौधे का छोटा सा टुकड़ा लिया जाता है और उसे एक विशेष केमिकल से प्रोसेस किया जाता है, जिससे बैक्टीरिया और फंगस खत्म हो जाते हैं। इसके बाद, पौधों को कांच की बोतलों में कृत्रिम माध्यम में रखा जाता है, जहां वे कुछ दिनों में बढ़ने लगते हैं। इसके बाद, इन पौधों को धीरे-धीरे पोषक तत्वों से युक्त वातावरण में रखा जाता है, और अंततः खेतों में लगाने योग्य छोटे पौधे तैयार होते हैं।
टिशू कल्चर से खेती में होने वाली लाभ
चूंकि टिशू कल्चर से तैयार किए गए पौधे रोगमुक्त होते हैं, किसानों को कीटनाशकों पर खर्च करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।सभी पौधे समान होते हैं, जिससे उत्पादन में एकरूपता और गुणवत्ता बनी रहती है।इन पौधों को जल्दी विकसित किया जा सकता है, जिससे किसान कम समय में अधिक उत्पादन पा सकते हैं।टिशू कल्चर से तैयार पौधे महंगे नहीं होते, और एक बार में कई पौधे तैयार किए जा सकते हैं।
चौधरी चरणसिंह कृषि विश्वविद्यालय का योगदान
चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने 6.5 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश की पहली सरकारी टिशू कल्चर लैब स्थापित की है। इस लैब के माध्यम से किसानों को बिना बीमारी के, उच्च गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। यहां से हर साल लाखों पौधे तैयार हो सकेंगे और यह न केवल हरियाणा, बल्कि पूरे उत्तर भारत के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
किसानों के लिए अवसर
HAU की टिशू कल्चर लैब से किसानों को न केवल बेहतरीन पौधे मिलेंगे, बल्कि उन्हें नए प्रकार की खेती के बारे में जानकारी भी मिलेगी। इस तकनीक का इस्तेमाल करने से किसान अपनी आय में सुधार कर सकते हैं, और कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। इसके साथ ही, यह तकनीक किसानों को फसल की बीमारी से बचाती है और कीटनाशकों पर होने वाले खर्च में भी कटौती करती है।