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भारत सरकार का बड़ा ऐलान,  50 साल पुराने डैम और बराज 4415 करोड़ रुपए की लागत से होंगे रेडी, मालामाल हो जाएंगे किसान 

 
Yamuna water sharing dispute resolved

Yamuna water sharing dispute resolved  बता दें कि राज्य के जर्जर हो चुके 50 साल पुराने 25 डैम-बराजों को नए सिरे से दुरुस्त करने की योजना बनी है. जलवायु परिवर्तन के कारण लखीसराय के मोरवे व बासकुंड और जमुई के आंजन डैम की जलग्रहण क्षमता घट गई है. पिछले तीन साल में इन तीन डैमों में 35% ही पानी भर पा रहा है. (Water Resource Department)इस कारण इन डैमों में गंगा का पानी लिफ्ट कर इन्हें लबालब भरा जाएगा. (Rural Development)इसके बाद पानी खेतों तक पहुंचेगा. (Ganga water)इससे सिंचाई तो सुनिश्चित होगी ही साथ ही इलाके में भू-गर्भ जल का स्तर भी बढ़ेगा. बिहार के 50 साल पुराने 25 डैम को नया जीवन मिलने जा रहा है. दरअसल, बासकुंड, मोरवे और आंजन डैम में अब गंगा का जल भरा जाएगा. इसकी मदद से खेतों तक भी आसानी से पानी पहुंचेगा, जिससे किसानों के दिन बहुरेंगे.

6 साल में पूरी होगी परियोजना
ये सभी काम पूर्ण होने में तकरीबन 6 साल लगेंगे. बिहार सरकार इस मद में 4415 करोड़ रुपए खर्च करेगी. इसमें 3090.50 करोड़ विश्व बैंक से लोन लिया जाना है, वहीं 1324.50 करोड़ अपने संसाधनों से सरकार जुटाएगी. गौरतलब है कि विश्व बैंक से उधार लेने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है. हालांकि, अच्छी बात ये है कि केंद्र ने इस परियोजना के लिए अपनी रजामंदी दे दी है. लिहाजा जलाशयों, बैराजों व नहरों के नवनिर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इस परियोजना के तहत बाढ़, जलस्राव, मॉनसून और खेती इत्यादि की मॉनीटरिंग के लिए आधुनिक डाटा सेंटर भी बनेगा. साथ ही नहरों के कमांड क्षेत्र की वितरणियां भी सुधरेंगी. सबसे बड़ा काम पश्चिमी कोसी और सोन नहर के पुनरुद्धार का भी होगा

परियोजना सात निश्चय पार्ट 2 का हिस्सा
पूरी परियोजना सात निश्चय-2 की दो महत्वपूर्ण श्रेणी- ‘जल-जीवन- हरियाली व हर खेत तक सिंचाई का पानी का हिस्सा है. दोनों सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है. एक बड़ी रकम बाढ़ प्रबंधन पर भी खर्च होगी. नदी जोड़ योजना के तहत तहत फल्गु-जलवार और कमला की धाराएं जुड़ेंगी. गंगा, गंडक, कोसी, महानंदा, बागमती आदि नदियों के कटाव को रोकने के लिए शीट पायलिंग और गैबियन मैट्रेस जैसी नई तकनीक का भी इस्तेमाल होगा. बिहार सरकार के पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा की मानें तो विश्व बैंक की मंजूरी मिलने से बाढ़-सुखाड़ से जूझने में मदद मिलेगी. इनसे निपटना सीएम नीतीश कुमार की शीर्ष प्राथमिकता है.