हरियाणा सरकार ने किया बड़ा ऐलान, इन प्राइवेट स्कूलों की मान्यता होगी रद्द

Haryana News: हरियाणा में निजी स्कूल अपनी मनमानी से लगातार शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) की अनदेखी कर रहे हैं। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के लिए बनाए गए कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कई निजी स्कूल ऐसे हैं जो आरटीई के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश देने से साफ इनकार कर देते हैं।
हरियाणा में 10,701 निजी स्कूल हैं, जिनमें से 3,134 ने अभी तक अपनी सीटों की घोषणा नहीं की है। ये आंकड़े अपने आप में शिक्षा विभाग के लिए आंखें खोलने वाले हैं।
आरटीई के तहत स्कूलों को सीटें आरक्षित करनी होंगी
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) के तहत निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों का एक हिस्सा गरीब, पिछड़े और जरूरतमंद बच्चों के लिए आरक्षित रखना होता है। नियमों के अनुसार, स्कूलों को इस श्रेणी के बच्चों के लिए कम से कम 25% सीटें आरक्षित करनी होती हैं। इसमें से 8% सीटें अनुसूचित जाति (एससी), 4% पिछड़ा वर्ग-ए (बीसीए) और 2.5% पिछड़ा वर्ग-बी (बीसीबी) के लिए आरक्षित होंगी।
इसके अतिरिक्त, एचआईवी प्रभावित बच्चों, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (विशेष रूप से सक्षम) और युद्ध विधवाओं के बच्चों को भी प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन जमीनी स्तर पर हालात अलग हैं। बहुत से स्कूल इन नियमों की अनदेखी करते हैं और जरूरतमंद बच्चों को दाखिला नहीं देते।
शिक्षा विभाग ने अब दिखाई सख्ती
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पूरे मामले में अब हरियाणा के स्कूल शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा (शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा) ने सख्ती दिखाई है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जो भी स्कूल आरटीई के तहत गरीब बच्चों को दाखिला नहीं देगा, उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
शिक्षा मंत्री ने शिक्षा अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ तुरंत जांच कर कार्रवाई की जाए।
प्रवेश हेतु तीसरी विस्तारित तिथि
हरियाणा शिक्षा विभाग ने आरटीई के तहत दाखिले की अंतिम तिथि तीसरी बार बढ़ा दी है। अभिभावक अब अपने बच्चों के लिए 25 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। पहले अंतिम तिथि 14 अप्रैल निर्धारित की गई थी जिसे बढ़ाकर 21 अप्रैल कर दिया गया और अब यह 15 अप्रैल है।
यह निर्णय स्कूलों और जरूरतमंद लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया। यह कदम दर्शाता है कि विभाग चाहता है कि हर जरूरतमंद बच्चे को स्कूल तक पहुंच मिले।
केवल ऑनलाइन आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि केवल ऑनलाइन आवेदन ही मान्य होंगे। खास बात यह है कि आवेदन केवल उसी कक्षा के लिए स्वीकार किए जाएंगे, जिस कक्षा से स्कूल शुरू होता है।
इसका मतलब यह है कि नर्सरी (नर्सरी) एलकेजी या कक्षा 1 - जो भी स्कूल की पहली कक्षा हो - आधार कक्षा होगी और उसमें दाखिला दिया जाएगा।
स्कूलों का रवैया चिंता का विषय
चिंता की बात यह है कि 3134 स्कूलों ने अभी तक पोर्टल पर अपनी सीटें उपलब्ध नहीं कराई हैं। जब स्कूल ही अपना डेटा छुपा रहे हों तो विभाग को कार्रवाई के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
विभाग का कहना है कि पोर्टल तीसरी बार खोला गया है ताकि कोई भी बच्चा छूट न जाए। लेकिन यदि स्कूल स्वयं सहयोग नहीं करेंगे तो योजना का लाभ गरीब बच्चों तक नहीं पहुंच पाएगा।
माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण बातें
आवेदन की अंतिम तिथि: 25 अप्रैल
आवेदन कैसे करें: केवल ऑनलाइन
कक्षा: स्कूल बेस कक्षा (नर्सरी/एलकेजी/कक्षा 1)
दस्तावेज़: आय प्रमाण पत्र जाति प्रमाण पत्र आधार कार्ड जन्म प्रमाण पत्र आदि