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मंडी में सब्जियों के गिरते दाम के कारण ये किसान हुआ परेशान, यूपी छोड़ आया हरियाणा में 

दिवांचल की शादी हो चुकी है और उनके दो बच्चे हैं.उन्होंने बल्लभगढ़ में 6 बीघा खेत पट्टे पर लिया हुआ है, जिसके लिए वे 30 हजार रुपए प्रति किला किराया देते हैं. दिवांचल ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में पालक की खेती की है, जिसके लिए खेत की जुताई के बाद बीज बोया जाता है. 
 
मंडी में सब्जियों के गिरते दाम के कारण ये किसान हुआ परेशान, यूपी छोड़ आया हरियाणा में

Haryana News : दिवांचल की शादी हो चुकी है और उनके दो बच्चे हैं.उन्होंने बल्लभगढ़ में 6 बीघा खेत पट्टे पर लिया हुआ है, जिसके लिए वे 30 हजार रुपए प्रति किला किराया देते हैं. दिवांचल ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में पालक की खेती की है, जिसके लिए खेत की जुताई के बाद बीज बोया जाता है. 

इसमें हर 15 दिन में पानी देना पड़ता है, खासकर जब मौसम ठंडा हो तो पानी दिन में दिया जाता है.बीज के बारे में उन्होंने बताया कि वे बल्लभगढ़ के गुप्ता होटल के पास स्थित आशु बीज भण्डार से बीज खरीदते हैं. 1 बीघे में 6 किलो बीज डाला जाता है और इससे 4 से 5 हजार गड्डियां निकल आती हैं. पालक की फसल को कीड़ों से बचाने के लिए किसान दिवांचल विशेष दवाइयों का उपयोग करते हैं.  बताया कि 505 और एटलस नाम की दवाइयों का सही मात्रा में उपयोग करने से पालक के पत्तों में चमक आती है और कीड़े भी नहीं लगते. 

एक बीघे की फसल 30 से 35 दिनों में तैयार हो जाती है और साल भर पालक की खेती जारी रहती है. दिवांचल ने बताया कि पिछले साल सब्जी मंडी में पालक के रेट ठीक थे, लेकिन इस साल बहुत मंदी है. पालक की पैदावार भी कम हो रही है, जिससे उन्हें घाटा हो रहा है. उन्होंने बताया कि इस बार एक बीघे में केवल 2 हजार गड्डी ही निकल रही हैं, जबकि सामान्यतः 4 से 5 हजार गड्डी निकलनी चाहिए.

 इस तरह, इस साल उन्हें पालक की खेती में काफी नुकसान हो रहा है. दिवांचल सैनी जैसे किसान अपनी मेहनत के बावजूद, बदलते बाजार और मौसम की मार से जूझ रहे हैं.  दिवांचल ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए बताया कि अगर बाजार में सुधार नहीं होता और पालक की पैदावार इसी तरह घटती रही, तो उनके लिए खेती से परिवार का गुजारा करना और भी मुश्किल हो जाएगा.