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यूपी सरकार का बड़ा फैसला! अब होगी गाय पालकों की बल्ले बल्ले 

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत निराश्रित गायों की देखभाल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस योजना के तहत अब गायों के दैनिक भरण पोषण भत्ते को 30 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है। यह कदम न सिर्फ गायों के संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे गायों को गोद लेने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
 

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत निराश्रित गायों की देखभाल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस योजना के तहत अब गायों के दैनिक भरण पोषण भत्ते को 30 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है। यह कदम न सिर्फ गायों के संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे गायों को गोद लेने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

इस कदम से न केवल गौरक्षा को बढ़ावा मिलेगा बल्कि गाय पालने वालों का जीवन भी बेहतर होगा। शनिवार को पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री धर्मपाल सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि गाय और पशुपालन से संबंधित अध्याय स्कूली पाठ्यक्रम में जोड़े जाएंगे ताकि गाय और दूध का महत्व समझाया जा सके। सरकार का मानना ​​है कि इससे युवा पीढ़ी को गौ सेवा और जैविक खेती की जानकारी मिलेगी।

राज्य सरकार की योजना के तहत अब तक 1,05,139 लाभार्थियों को 1,62,625 बेसहारा गायें वितरित की जा चुकी हैं। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार अधिकतम चार गायें गोद ले सकता है। सरकार का लक्ष्य पशुपालन को आय का स्रोत बनाना है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

उत्तर प्रदेश सरकार वर्तमान में स्कूली पाठ्यक्रम में गाय और पशुपालन सेवाओं को शामिल करने पर विचार कर रही है। इसके माध्यम से छात्रों को न केवल भारतीय कृषि संस्कृति और जैविक खेती के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि वे यह भी सीखेंगे कि गाय से प्राप्त उत्पादों का वे किफायती तरीके से कैसे उपयोग कर सकते हैं।

यूपी सरकार ने बेहतर गौ संरक्षण के लिए 543 वृहद गौ संरक्षण केंद्रों के निर्माण को मंजूरी दी है। इन केन्द्रों की निर्माण लागत ₹120 लाख से बढ़ाकर ₹160.12 लाख कर दी गई है। इसके अलावा पशुधन की सुरक्षा के लिए सड़कों पर रेडियो बेल्ट लगाने और गौशालाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी योजना तैयार की गई है।

उत्तर प्रदेश में 7,713 गौशालाओं में 12 लाख से अधिक गरीब गायों की देखभाल की जा रही है। सरकार का मानना ​​है कि यदि गाय के गोबर और मूत्र का व्यावसायिक उपयोग किया जाए तो गौशालाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं।