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Haryana Scheme: प्राकृतिक खेती अपनाएं, सरकार से पाएं देसी गाय पर 30,000 रुपये की सब्सिडी! जानें 

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों से अपील की है कि वे रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अधिक उपयोग न करें और प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाएं। यह सिर्फ खेती की गुणवत्ता ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि स्वास्थ्य, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वरदान साबित होगा।
 
Haryana Scheme

Haryana Scheme: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों से अपील की है कि वे रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अधिक उपयोग न करें और प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाएं। यह सिर्फ खेती की गुणवत्ता ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि स्वास्थ्य, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वरदान साबित होगा।

हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है, जिसमें देसी गाय की खरीद पर 30,000 रुपये तक की सब्सिडी प्रमुख है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह योजना किसानों के लिए कितनी फायदेमंद है और इसके साथ जुड़ी अन्य पहलें क्या हैं।

मुख्यमंत्री सोमवार को कुरुक्षेत्र जिले के बिहोली गांव में राजकीय पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने गांव के विकास कार्यों के लिए 21 लाख रुपये देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 4 करोड़ 67 लाख रुपये की लागत से निर्मित इस पॉलीक्लिनिक से आसपास के पशुओं को विशेषज्ञ पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी। पॉलीक्लिनिक में पैथोलॉजी, पैरासिटोलॉजी, गायनोकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, सर्जरी, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे के साथ-साथ इनडोर और आउटडोर यूनिट जैसी सेवाएं उपलब्ध होंगी। 

इसके अतिरिक्त, संस्थान को विशेषज्ञ पशु चिकित्सा अधिकारियों, तकनीशियनों और सहायक कर्मचारियों से सुसज्जित किया जाएगा, जिससे यह एक आदर्श पशु चिकित्सा केंद्र बन जाएगा। पशुधन क्षेत्र के समक्ष वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पशु दूध की कीमत हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है। भूमिहीन और छोटे किसानों के लिए इतने महंगे पशु खरीदना मुश्किल है। यदि वह इसे खरीद भी लेता है, तो भी उसे पशु के स्वास्थ्य की चिंता बनी रहती है। इन परिस्थितियों में पशु चिकित्सा संस्थानों का महत्व काफी बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य भर में 6 सरकारी पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक चल रहे हैं। ये सिरसा, जीन्द, रोहतक, भिवानी, सोनीपत और रेवाडी में हैं। अब कुरुक्षेत्र का यह पॉलीक्लिनिक 7वां केंद्र बन गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कुरुक्षेत्र जिले में 49 सरकारी पशु चिकित्सालय तथा 72 सरकारी पशु औषधालय कार्यरत हैं। इनमें से पशु चिकित्सा के 51 पदों में से 47 तथा वी.एल.डी.ए. के 130 पदों में से 119 पद रिक्त हैं।

नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार कार्य कर रही है। पिछले 10 वर्षों में राज्य में लगभग 650 गौशालाएं खोली गई हैं। 2014 से पहले गौशाला के लिए सरकारी बजट मात्र 2 करोड़ रुपये था, आज वर्तमान सरकार ने इस बजट को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है ताकि कोई भी गाय बेसहारा न रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें राज्य के किसानों और पशुपालकों पर गर्व है, जिनकी कड़ी मेहनत से हरियाणा को पशुपालन में विशेष पहचान मिली है। यद्यपि राज्य में देश की केवल 2.1 प्रतिशत दुधारू गायें हैं, फिर भी हम देश के कुल दूध उत्पादन में 5.11 प्रतिशत का योगदान करते हैं। वर्ष 2023-24 तक हरियाणा में 1 करोड़ 22 लाख 20 हजार टन दूध का उत्पादन होगा। 

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे प्रगतिशील पशुपालकों की संख्या में वृद्धि जारी रहेगी। हमारी प्रति व्यक्ति दैनिक दूध उपलब्धता भी राष्ट्रीय औसत से 2.34 गुना अधिक है। राष्ट्रीय औसत 471 ग्राम है, जबकि हरियाणा का 1105 ग्राम है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य नस्ल सुधार कर अधिक दूध उत्पादन करना है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के तहत सामान्य दुग्ध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर तथा गरीब परिवारों के दुग्ध उत्पादकों को 10 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा, दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के दुग्ध उत्पादकों को 1000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। 

80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले कक्षा 10 के छात्रों के लिए 2,100 रुपये और 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले छात्रों के लिए 2,100 रुपये। कक्षा 12 के छात्रों के लिए 5,100 रुपये। 1 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा। दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के दुग्ध उत्पादकों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि दी गई। अब तक कुल 4 करोड़ 40 लाख 78 लाख रुपये के बीमा दावों का भुगतान किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय समूह पशुधन बीमा योजना’ के अंतर्गत बड़े पशुओं का दुग्ध उत्पादन क्षमता के अनुसार 500 रुपये प्रीमियम पर बीमा कराया जाता है। 100 से रु. 300, जबकि भेड़, बकरी और सूअर आदि जैसे छोटे जानवरों के लिए 25 प्रति पशु। 

राज्य अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के पशुओं का निःशुल्क बीमा किया जाता है। योजना के तहत वर्ष 2014 से अब तक 15.90 लाख पशुओं का बीमा किया गया है। इस अवधि में 97 करोड़ 40 लाख रुपये के कुल 24,576 बीमा दावों का निपटारा किया गया। इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत डेयरी पशुओं की मृत्यु पर एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में डेयरी की स्थापना के साथ ही लाभार्थियों को 20 से 50 यूनिट दुधारू पशुओं की खरीद के लिए लिए गए बैंक ऋण पर ब्याज अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा, 2, 4 और 10 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। 

इसके अलावा, राज्य में देशी गायों के उत्थान के लिए हरियाणा, साहीवाल और बेलाही नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के प्रजनकों को 5,000 रुपये से 20,000 रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी गई है। इस योजना के अंतर्गत अक्टूबर, 2014 से अब तक 16,921 पशुपालक लाभान्वित हुए हैं।

Haryana Scheme: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों से अपील की है कि वे रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अधिक उपयोग न करें और प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाएं। यह सिर्फ खेती की गुणवत्ता ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि स्वास्थ्य, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वरदान साबित होगा।

हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है, जिसमें देसी गाय की खरीद पर 30,000 रुपये तक की सब्सिडी प्रमुख है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह योजना किसानों के लिए कितनी फायदेमंद है और इसके साथ जुड़ी अन्य पहलें क्या हैं।

मुख्यमंत्री सोमवार को कुरुक्षेत्र जिले के बिहोली गांव में राजकीय पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने गांव के विकास कार्यों के लिए 21 लाख रुपये देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 4 करोड़ 67 लाख रुपये की लागत से निर्मित इस पॉलीक्लिनिक से आसपास के पशुओं को विशेषज्ञ पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी। पॉलीक्लिनिक में पैथोलॉजी, पैरासिटोलॉजी, गायनोकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, सर्जरी, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे के साथ-साथ इनडोर और आउटडोर यूनिट जैसी सेवाएं उपलब्ध होंगी। 

इसके अतिरिक्त, संस्थान को विशेषज्ञ पशु चिकित्सा अधिकारियों, तकनीशियनों और सहायक कर्मचारियों से सुसज्जित किया जाएगा, जिससे यह एक आदर्श पशु चिकित्सा केंद्र बन जाएगा। पशुधन क्षेत्र के समक्ष वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पशु दूध की कीमत हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है। भूमिहीन और छोटे किसानों के लिए इतने महंगे पशु खरीदना मुश्किल है। यदि वह इसे खरीद भी लेता है, तो भी उसे पशु के स्वास्थ्य की चिंता बनी रहती है। इन परिस्थितियों में पशु चिकित्सा संस्थानों का महत्व काफी बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य भर में 6 सरकारी पशु चिकित्सा पॉलीक्लिनिक चल रहे हैं। ये सिरसा, जीन्द, रोहतक, भिवानी, सोनीपत और रेवाडी में हैं। अब कुरुक्षेत्र का यह पॉलीक्लिनिक 7वां केंद्र बन गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कुरुक्षेत्र जिले में 49 सरकारी पशु चिकित्सालय तथा 72 सरकारी पशु औषधालय कार्यरत हैं। इनमें से पशु चिकित्सा के 51 पदों में से 47 तथा वी.एल.डी.ए. के 130 पदों में से 119 पद रिक्त हैं।

नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार कार्य कर रही है। पिछले 10 वर्षों में राज्य में लगभग 650 गौशालाएं खोली गई हैं। 2014 से पहले गौशाला के लिए सरकारी बजट मात्र 2 करोड़ रुपये था, आज वर्तमान सरकार ने इस बजट को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है ताकि कोई भी गाय बेसहारा न रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें राज्य के किसानों और पशुपालकों पर गर्व है, जिनकी कड़ी मेहनत से हरियाणा को पशुपालन में विशेष पहचान मिली है। यद्यपि राज्य में देश की केवल 2.1 प्रतिशत दुधारू गायें हैं, फिर भी हम देश के कुल दूध उत्पादन में 5.11 प्रतिशत का योगदान करते हैं। वर्ष 2023-24 तक हरियाणा में 1 करोड़ 22 लाख 20 हजार टन दूध का उत्पादन होगा। 

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे प्रगतिशील पशुपालकों की संख्या में वृद्धि जारी रहेगी। हमारी प्रति व्यक्ति दैनिक दूध उपलब्धता भी राष्ट्रीय औसत से 2.34 गुना अधिक है। राष्ट्रीय औसत 471 ग्राम है, जबकि हरियाणा का 1105 ग्राम है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य नस्ल सुधार कर अधिक दूध उत्पादन करना है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के तहत सामान्य दुग्ध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर तथा गरीब परिवारों के दुग्ध उत्पादकों को 10 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा, दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के दुग्ध उत्पादकों को 1000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। 

80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले कक्षा 10 के छात्रों के लिए 2,100 रुपये और 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले छात्रों के लिए 2,100 रुपये। कक्षा 12 के छात्रों के लिए 5,100 रुपये। 1 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा। दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के दुग्ध उत्पादकों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि दी गई। अब तक कुल 4 करोड़ 40 लाख 78 लाख रुपये के बीमा दावों का भुगतान किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय समूह पशुधन बीमा योजना’ के अंतर्गत बड़े पशुओं का दुग्ध उत्पादन क्षमता के अनुसार 500 रुपये प्रीमियम पर बीमा कराया जाता है। 100 से रु. 300, जबकि भेड़, बकरी और सूअर आदि जैसे छोटे जानवरों के लिए 25 प्रति पशु। 

राज्य अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के पशुओं का निःशुल्क बीमा किया जाता है। योजना के तहत वर्ष 2014 से अब तक 15.90 लाख पशुओं का बीमा किया गया है। इस अवधि में 97 करोड़ 40 लाख रुपये के कुल 24,576 बीमा दावों का निपटारा किया गया। इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत डेयरी पशुओं की मृत्यु पर एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में डेयरी की स्थापना के साथ ही लाभार्थियों को 20 से 50 यूनिट दुधारू पशुओं की खरीद के लिए लिए गए बैंक ऋण पर ब्याज अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा, 2, 4 और 10 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। 

इसके अलावा, राज्य में देशी गायों के उत्थान के लिए हरियाणा, साहीवाल और बेलाही नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के प्रजनकों को 5,000 रुपये से 20,000 रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी गई है। इस योजना के अंतर्गत अक्टूबर, 2014 से अब तक 16,921 पशुपालक लाभान्वित हुए हैं।