Success Story: चार बार हारी UPSC परीक्षा में पांचवें प्रयास में मिली सफलता! पढ़ें हार को जीत में बदलने वाली आईएएस अफसर की कहानी
हर साल UPSC (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की परीक्षा में लाखों उम्मीदवार परीक्षा देते हैं, लेकिन कुछ ही को सफलता मिलती है। एक असफलता से दूसरी असफलता का सामना करने के बाद भी अगर हार मानने का नाम न लिया जाए, तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है।
Success Story: हर साल UPSC (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की परीक्षा में लाखों उम्मीदवार परीक्षा देते हैं, लेकिन कुछ ही को सफलता मिलती है। एक असफलता से दूसरी असफलता का सामना करने के बाद भी अगर हार मानने का नाम न लिया जाए, तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है।
यह कहानी एक ऐसी महिला की है, जिसने अपनी मेहनत और सच्ची लगन से UPSC परीक्षा पास की और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का सपना पूरा किया। हम बात कर रहे हैं आकांक्षा सिंह की, जिन्होंने पांचवें प्रयास में UPSC परीक्षा में सफलता हासिल की और 44वीं रैंक प्राप्त की।
हम बात कर रहे हैं आकांक्षा सिंह की जिन्होंने यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में चार बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी। उन्होंने कड़ी मेहनत की और पांचवें और अंतिम प्रयास में परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनने का अपना सपना पूरा किया।
रांची की रहने वाली आकांक्षा सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। अपनी नौकरी के साथ-साथ वह आमतौर पर हर दिन 7-8 घंटे पढ़ाई करते हैं। यही कारण है कि आज वह अपने उद्देश्य में सफल हो सका। आकांक्षा की कहानी बताती है कि अगर सच्ची मेहनत हो तो हार को भी जीत में बदला जा सकता है।
यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में चार बार असफल होने के बावजूद आकांक्षा ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने अंतिम प्रयास में यूपीएससी 2023 परीक्षा में 44वीं रैंक हासिल की। आपको बता दें, आकांक्षा रांची के एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम करती थीं। काम के साथ-साथ अपनी शिक्षा भी जारी रखें।
आपको बता दें, आकांक्षा ने अपनी स्कूली पढ़ाई जमशेदपुर से की है। बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा कॉलेज में आगे की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के बाद आकांक्षा ने जेएनयू से पोस्ट ग्रेजुएशन और एम.फिल की डिग्री हासिल की।
आकांक्षा को खुद पर पूरा भरोसा था कि वह यूपीएससी परीक्षा जरूर पास कर लेगी। इसलिए, उन्होंने अपनी पूरी मेहनत अपने काम में लगा दी। कई मॉक टेस्ट आयोजित किए और गलतियों को सुधारा। एक साक्षात्कार में आकांक्षा ने प्रशासनिक सेवा में शामिल होने की प्रेरणा का श्रेय अपने पिता चंद्र कुमार सिंह को दिया, जो सेवानिवृत्त होने से पहले झारखंड कल्याण विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे।