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टीवी शो और फिल्म से सीखी क्राइम प्लानिंग, फिर उतारा 70 साल की महिला को मौत के घाट, पर पुलिस की पकड़ से बच नहीं सका आरोपी

राजस्थान के उदयपुर में एक 70 वर्षीय महिला की हत्या का मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह हत्या हिंदी फिल्म 'दृश्यम' और टीवी शो 'क्राइम पेट्रोल' से प्रेरित थी। आरोपी रमेश लोहार ने पुलिस को गुमराह करने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ इस अपराध को अंजाम दिया, लेकिन फॉरेंसिक सबूतों और डिजिटल फुटप्रिंट के आगे वह फेल हो गया।
 
Rajasthan Crime

Rajasthan Crime: राजस्थान के उदयपुर में एक 70 वर्षीय महिला की हत्या का मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह हत्या हिंदी फिल्म 'दृश्यम' और टीवी शो 'क्राइम पेट्रोल' से प्रेरित थी। आरोपी रमेश लोहार ने पुलिस को गुमराह करने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ इस अपराध को अंजाम दिया, लेकिन फॉरेंसिक सबूतों और डिजिटल फुटप्रिंट के आगे वह फेल हो गया।

उदयपुर के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मनीष कुमार ने बताया कि आरोपी रमेश लोहार कक्षा 5 के बाद स्कूल नहीं गया था और उसे 'क्राइम पेट्रोल' जैसे अपराध-केंद्रित शो देखना पसंद था। आरोपी ने पुलिस को बताया कि उसने आभूषण लेने के लिए चांदीबाई में 70 वर्षीय महिला की हत्या की।

पुलिस के अनुसार, ढोली जाति से ताल्लुक रखने वाली चांदीबाई 9 जनवरी को एक कार्यक्रम में ढोल बजा रही थी, तभी उसने आरोपी को देखा। चांदीबाई ने बहुत सारे चांदी और सोने के आभूषण पहने हुए थे। पुलिस ने बताया कि 22 फरवरी को रमेश ने चांदीबाई को एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए 1,100 रुपये का लालच देकर अपनी वैन में बिठाया। 

इसके बाद वह घंटों गाड़ी चलाता रहा और अधिकारियों को बेवकूफ बनाने के लिए अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया। मनीष कुमार ने बताया कि रात में आरोपी उसे सुनसान जगह पर ले गया और उसके सिर पर कई बार पेचकस से वार किया। 

अधिकारी ने बताया कि इसके बाद आरोपी ने गहने उतार लिए, अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया और मोबाइल फोन वाला बैग पास की झाड़ी में फेंक दिया। पुलिस ने बताया कि इसके बाद रमेश शव को डंप यार्ड ले गया और उसे कचरे से ढककर आग लगा दी, ताकि उसका कोई निशान न बचे। 

आरोपी अगली सुबह महिला के शव को इकट्ठा करने के लिए लैंडफिल यार्ड गया और उसे झील में फेंक दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने सोचा कि फिल्म 'दृश्यम' की तरह अगर उसका शव नहीं मिला तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि, पुलिस को डंप यार्ड में महिला के बालों के छोटे-छोटे टुकड़े मिले, जिससे अपराधी पकड़ा गया। फोरेंसिक जांच के दौरान रमेश की वैन में खून के धब्बे और मानव बाल भी मिले।

एएसपी कुमार ने बताया कि बाद में बालों के नमूनों का मिलान चांदी बाई के बिस्तर से लिए गए नमूनों से किया गया। यह मामला चांदी बाई के परिवार द्वारा उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराने के दो महीने बाद सामने आया। मामले में प्रगति न होने से चिंतित चांदी बाई के रिश्तेदार ने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया और संदेह जताया कि उसकी हत्या की गई होगी। 

इसके बाद एफआईआर दर्ज कर जांच के लिए एएसपी को सौंप दिया गया। जांच के दौरान, कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्होंने 22 फरवरी को चांदी बाई को एक वैन में जाते हुए देखा था। जांचकर्ताओं ने पाया कि वैन रमेश की थी। पुलिस ने कहा कि रमेश एक स्थानीय आर्टिफिशियल ज्वैलरी विक्रेता था और उसका आपराधिक रिकॉर्ड था। अधिकारी ने कहा, "रमेश को पूछताछ के लिए लाया गया और शुरू में उसने किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया। 

चांदी बाई के कॉल रिकॉर्ड के तकनीकी विश्लेषण से पता चला कि उसके लापता होने के दिन दोनों एक ही जगह पर थे।" पुलिस ने रमेश के "फिंगरप्रिंट" को खोजने में एक बड़ी सफलता हासिल की, जिससे पता चला कि उसने गूगल पर "दृश्यम" और "क्राइम शो" सर्च किया था। 

एएसपी कुमार ने कहा कि आरोपी ने इंटरनेट पर 'शरीर को सड़ने में कितना समय लगता है' और 'मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए पुलिस अपराधियों को कैसे पकड़ती है' जैसे सवाल भी सर्च किए। आरोपी की पत्नी ने भी पुष्टि की कि वह देर रात तक 'क्राइम प्रोग्राम' देखता था।

यह मामला केवल एक नृशंस हत्या नहीं बल्कि डिजिटल युग में अपराध की नई परछाइयों को भी दर्शाता है। टीवी शो और फिल्मों से प्रेरणा लेकर की गई क्राइम प्लानिंग भी अब तकनीकी जांच और फोरेंसिक साइंस के आगे टिक नहीं सकती। उदयपुर पुलिस ने तत्परता दिखाकर इस केस को सुलझाया और आरोपी को सलाखों के पीछे पहुंचाया।