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भजनलाल सरकार ने 9 जिलों को समाप्त किया, अब सरकार के बचेंगे सालाना 9000 करोड़, जानें 

राजस्थान में जिलों और संभागों के पुनर्गठन का कार्य अब आधिकारिक रूप से पूरा हो चुका है, जैसा कि हाल ही में जारी राजपत्र (गजट) में बताया गया। इस पुनर्गठन के तहत 9 जिलों को समाप्त किया गया, जबकि उनके स्थान पर 12 जिलों का गठन किया गया और 3 संभागों में नए जिलों को मिलाकर कुल 4 जिलों का पुनर्गठन किया गया है। इस प्रक्रिया से राज्य को करीब 9,000 करोड़ रुपए सालाना बचत होने का अनुमान है।
 
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Rajasthan: राजस्थान में जिलों और संभागों के पुनर्गठन का कार्य अब आधिकारिक रूप से पूरा हो चुका है, जैसा कि हाल ही में जारी राजपत्र (गजट) में बताया गया। इस पुनर्गठन के तहत 9 जिलों को समाप्त किया गया, जबकि उनके स्थान पर 12 जिलों का गठन किया गया और 3 संभागों में नए जिलों को मिलाकर कुल 4 जिलों का पुनर्गठन किया गया है। इस प्रक्रिया से राज्य को करीब 9,000 करोड़ रुपए सालाना बचत होने का अनुमान है।

नए जिलों का गठन

अनूपगढ़ को श्रीगंगानगर और बीकानेर में मिलाकर पुनर्गठित किया गया।
दूदू और जयपुर ग्रामीण को जयपुर जिले में मिलाया गया।
गंगापुर सिटी को सवाईमाधोपुर और करौली में मिलाया गया।
जोधपुर ग्रामीण को जोधपुर में शामिल किया गया।
सांचौर को जालोर जिले में मिला दिया गया।
केकडी को अजमेर और टोंक में मिलाया गया।
नीमकाथाना को सीकर और झुंझुनूं में शामिल किया गया।
शाहपुरा को भीलवाड़ा जिले में मिलाया गया।

संभाग पुनर्गठन

सीकर को जयपुर संभाग में मिलाया गया।
पाली को जोधपुर संभाग में मिलाया गया।
बांसवाड़ा को उदयपुर संभाग में मिलाया गया।

जिलों के पुनर्गठन का उद्देश्य

राजस्थान में जिलों के पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से विकास को प्रोत्साहित करना है। इस प्रक्रिया के दौरान, आबादी, जनसंख्या घनत्व, और आर्थिक समृद्धि के अवसर जैसे मापदंडों को ध्यान में रखा गया। इसके अलावा, प्रशासनिक सुगमता और वित्तीय दक्षता को भी प्रमुख रूप से देखा गया।

बचत 

राजस्थान में जिलों का औसत खर्च सालाना करीब 1,000 करोड़ रुपए होता है। 9 जिलों को समाप्त करने से राज्य को सालाना 9,000 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है। यह राशि राज्य के विकास कार्यों में लगाई जा सकती है और प्रशासनिक स्तर पर इसे और अधिक सुगम बनाने के लिए उपयोगी हो सकती है।