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दिवाली के खास त्यौहार पर फूलों की बढ़ी मांग, राजस्थान के किसानों के चेहरे पर दिखी खुशी 

गुरला के किसान हर तीज-त्योहार पर पूजा-अर्चना में उपयोग होने वाले फूलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करते हैं, जिससे न केवल उनकी आजीविका चलती है बल्कि कस्बे की अर्थव्यवस्था को भी सहारा मिलता है।हजारे के फूलों के साथ ही गुरला में गुलाब की खेती भी बड़े स्तर पर होती है। लक्ष्मण लाल माली ने बताया कि गुलाब के फूल भी भीलवाड़ा की कृषि मंडी, सूचना केंद्र चैराहा और सुबह की सब्जी मंडी में प्रति किलो के हिसाब से बेचे जाते हैं। गुलाब की खुशबू और उसकी सुन्दरता की वजह से इसकी बाजार में भी खूब मांग रहती है। 
 
दिवाली के खास त्यौहार पर फूलों की बढ़ी मांग, राजस्थान के किसानों के चेहरे पर दिखी खुशी

Rajasthan News : गुरला के किसान हर तीज-त्योहार पर पूजा-अर्चना में उपयोग होने वाले फूलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करते हैं, जिससे न केवल उनकी आजीविका चलती है बल्कि कस्बे की अर्थव्यवस्था को भी सहारा मिलता है।हजारे के फूलों के साथ ही गुरला में गुलाब की खेती भी बड़े स्तर पर होती है। लक्ष्मण लाल माली ने बताया कि गुलाब के फूल भी भीलवाड़ा की कृषि मंडी, सूचना केंद्र चैराहा और सुबह की सब्जी मंडी में प्रति किलो के हिसाब से बेचे जाते हैं। गुलाब की खुशबू और उसकी सुन्दरता की वजह से इसकी बाजार में भी खूब मांग रहती है। 

शारदीय नवरात्रि और दीपावली के समय यहां फूलों की मांग तेजी से बढ़ जाती है। श्याम लाल माली ने बताया कि इस वर्ष भी फूलों की बम्पर पैदावार हुई है। दीपावली के लिए मजदूरों द्वारा फूलों की माला तैयार करने का कार्य जारी है, जिससे भीलवाड़ा जिले के अलावा अजमेर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कांकरोली और नाथद्वारा के व्यापारी यहां से फूलों की मालाएं खरीदकर ले जाते हैं गुरला कस्बे के बाहर स्थित रणजीत सागर तालाब यहां की खेती के लिए जल का मुख्य स्रोत है। यह तालाब बारिश और मातृकुंडिया नहर के पानी से हर वर्ष लबालब भरा रहता है, जिससे किसानों को पूरे साल भर फूलों की खेती के साथ-साथ रबी और खरीफ फसलों के लिए भी पानी की कमी नहीं होती। 

यह तालाब फूलों और फलों की खेती के लिए एक प्रमुख संसाधन है, जो इस क्षेत्र को अन्य क्षेत्रों से ज्यादा उत्पादक बनाता है।किसानों ने बताया कि वे उच्च और उन्नत किस्म के फूलों के बीज मध्यप्रदेश के रतलाम और अजमेर के तीर्थराज पुष्कर से मंगवाते हैं। इन बीजों की कीमत अधिक होती है, लेकिन गुणवत्ता के कारण पैदावार भी बढ़िया होती है। शारदीय नवरात्रि, दीपावली और अन्य त्योहारों के मौके पर ये फूल बाजार में अच्छे दामों पर बिकते हैं। गुरला के सभी किसान हजारे के फूलों की खेती करते हैं और त्योहारों के दौरान मजदूरों द्वारा फूलों की तुड़ाई और माला बनाने का काम भी युद्धस्तर पर होता है। गेंदे के फूलों की खेती में भी यहां के किसानों ने बढ़िया तकनीक प्रगति की है। 

मध्यप्रदेश के रतलाम निवासी निखिल मेहता, सुनील पाठक और अंकित प्रजापति, जो विभिन्न किस्मों के बीज विदेशों से आयात करते हैं, ने बताया कि उनकी फर्म पिछले 32 वर्षों से नई किस्में जैसे कि न्यूजीलैंड, फ्रांस, थाईलैंड, इटली और कोरिया से आयात करती आई है। उनके द्वारा आयातित बीज पूरे भारत के अनेक राज्यों जैसे महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब और जम्मू कश्मीर तक वितरित किए जाते हैं। गेंदे के फूलों में इस साल सबसे लोकप्रिय किस्म जिनाया सीड्स का भीम येलो प्लस और बूस्टर येलो रहा, जो अपनी बेहतर उत्पादन क्षमता और बीमारियों के प्रति सहनशीलता के कारण किसानों की पहली पसंद बना हुआ है।

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में सबसे अधिक फूलों की खेती गुरला में ही होती है, जो इसे विशेष पहचान दिलाता है।त्योहारी सीजन में फूलों की मांग तेजी से बढ़ जाती है। दीपावली पर गुरला के फूलों की विशेष मांग रहती है, जिससे किसान अपने उत्पादों को अच्छे दामों पर बेच पाते हैं। श्याम लाल माली ने बताया कि दीपावली और नवरात्रि जैसे पर्वों पर माली परिवार के साथ-साथ अन्य मजदूर भी फूलों की माला बनाने में जुटे रहते हैं

जिससे मांग की आपूर्ति हो सके और स्थानीय व्यापारियों के साथ-साथ अन्य जिलों और राज्यों के व्यापारी भी गुरला से फूल खरीद सकें।गुरला के किसानों की मेहनत और समर्पण के कारण यह क्षेत्र आज फूलों की खेती में एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां के किसानों ने महंगे बीज खरीदकर और अपनी मेहनत से इन फूलों की खेती को विशेष ऊंचाई तक पहुंचाया है। 

इन फूलों की गुणवत्ता और खुशबू के कारण न केवल स्थानीय बाजार में बल्कि प्रदेश के बाहर भी इनकी अच्छी मांग रहती है गुरला का यह विशेष फूल उत्पादन क्षेत्र त्योहारों के मौसम में हर ओर खुशबू बिखेरता है और यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है। रणजीत सागर तालाब और मातृकुंडिया नहर के जल स्रोत के सहारे यहां के किसानों ने फूलों और फलों की खेती को एक नई दिशा दी है। त्योहारों के समय गुलाब, हजारे और अन्य फूलों की मांग बढ़ने से किसानों को उनकी मेहनत का सही फल मिल पाता है और यह खेती उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत बन गई है।