राजस्थान हाईकोर्ट का अहम फैसला! एपीओ के लिए 30 दिन की समय सीमा निर्धारित

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 फरवरी 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि कोई भी कर्मचारी 30 दिनों से अधिक समय तक Awaiting Posting Orders (एपीओ) पर नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि एपीओ का उपयोग ट्रांसफर या दंड के रूप में नहीं किया जा सकता है। इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों को राहत मिली है और सरकार को एपीओ नीति पर नए प्रशासनिक निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है।
एपीओ पर हाईकोर्ट का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने यह आदेश दिया। इस फैसले के तहत, सरकारी कर्मचारियों के एपीओ पर रहने की अधिकतम अवधि 30 दिन तय की गई है। इससे कर्मचारियों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर नए पद पर नियुक्ति मिल सकेगी। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि एपीओ का दुरुपयोग किसी कर्मचारी को दंडित करने या ट्रांसफर के लिए नहीं किया जा सकेगा।
30 दिन की अधिकतम सीमा
किसी भी कर्मचारी को 30 दिन से अधिक समय तक एपीओ पर नहीं रखा जा सकता। इससे कर्मचारियों को बिना किसी देरी के अपनी नई पोस्ट पर कार्य करने का अवसर मिलेगा।
दंडात्मक उपयोग पर रोक
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एपीओ का दंडात्मक उपयोग नहीं किया जा सकता। इसका मतलब है कि किसी कर्मचारी को अनुशासनहीनता के कारण एपीओ पर नहीं रखा जा सकता।
नई एपीओ नीति
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह एपीओ नीति पर नए प्रशासनिक आदेश जारी करें, ताकि भविष्य में किसी भी कर्मचारी को अनुचित रूप से एपीओ पर न रखा जा सके।
याचिकाकर्ताओं को मिली राहत
इस आदेश से डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, गणराज विश्नोई, डॉ. मांगीलाल सोनी, लक्ष्मीनारायण कुम्हार और अन्य 56 याचिकाकर्ताओं को राहत मिली है। इन कर्मचारियों को एपीओ के कारण असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था। कोर्ट के इस आदेश से अब उन्हें जल्द ही नई पोस्ट पर नियुक्ति मिल सकेगी।
डॉ. दिलीप सिंह चौधरी का मामला
डॉ. दिलीप सिंह चौधरी, जो 2015 से चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे, को 19 फरवरी 2024 को एपीओ कर दिया गया था। यह निर्णय जूनियर चिकित्सा अधिकारियों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्त करने के उद्देश्य से लिया गया था। हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को अपनी नीति पर पुनः विचार करने के लिए कहा।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने इस मामले में तर्क दिया था कि एपीओ आदेश प्रशासनिक आवश्यकता और जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। हालांकि, कोर्ट ने सरकार के तर्क को नकारते हुए इस आदेश पर रोक लगा दी और सरकार को एपीओ नीति में सुधार के लिए निर्देशित किया।
नतीजा
राजस्थान हाईकोर्ट के इस आदेश से सरकारी कर्मचारियों को एक महत्वपूर्ण राहत मिली है। अब उन्हें बिना किसी अनावश्यक देरी के अपनी नियुक्ति में बदलाव के लिए एपीओ का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही राज्य सरकार को भी अपनी एपीओ नीति पर नए निर्देश जारी करने होंगे, जो भविष्य में इस तरह की समस्याओं को टालने में मदद करेंगे।