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शहीद रामस्वरूप कस्वां की शहादत! अधिकारियों ने बताया आत्महत्या तो परिवार पहुंचा ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी कार्यालय

जम्मू-कश्मीर के रामस्वरूप कस्वां बीकानेर की नोखा तहसील के पांचू  गांव  के निवासी थे. वे श्रीनगर के अनंतनाग में सेना की 65 रेजीमेन्ट में तैनात थे. मंगलवार की सुबह उनके सिर में गोली लग गई और उन्हें तुरन्त सेना के अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके और उन्होंने दम तोड़ दिया. उनकी पार्थिव देह आज बीकानेर लाई गई और सुबह सेना द्वारा उनके पैतृक गांव  पांचू  ले जाने का कार्यक्रम था. 
 
शहीद रामस्वरूप कस्वां की शहादत! अधिकारियों ने बताया आत्महत्या तो परिवार पहुंचा ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी कार्यालय

Rajasthan news : जम्मू-कश्मीर के रामस्वरूप कस्वां बीकानेर की नोखा तहसील के पांचू  गांव  के निवासी थे. वे श्रीनगर के अनंतनाग में सेना की 65 रेजीमेन्ट में तैनात थे. मंगलवार की सुबह उनके सिर में गोली लग गई और उन्हें तुरन्त सेना के अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके और उन्होंने दम तोड़ दिया. उनकी पार्थिव देह आज बीकानेर लाई गई और सुबह सेना द्वारा उनके पैतृक गांव  पांचू  ले जाने का कार्यक्रम था. 

लेकिन उनके उसी दौरान उनके परिजन और समाज के लोग ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी कार्यालय के आगे जमा हो गए और ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी द्वारा सैनिक की मौत को आत्महत्या बताए जाने का विरोध करने लगे. उनका आरोप है कि ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी ने शहीद रामस्वरूप कस्वां की मौत को बिना किसी कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी के आत्महत्या बताया है. 

इस बात को लेकर बड़ी तादाद में शहीद के समाज के लोग इकट्ठा हो गए और विरोध करने लगे. इसी दौरान सेना द्वारा शहीद का पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ ट्रक में रवाना किया गया तो शहीद के समाज के लोग ट्रक के आगे जमा हो गए. उनका कहना था कि पार्थिव शरीर पांचू  ले जाने का समय उन्हें पौने नौ बजे का दिया गया था, लेकिन सुबह ही रवाना कर दिया गया. 

उन्होंने जब ज़्यादा विरोध किया तो सेना के अधिकारी पार्थिव शरीर को वापिस सेना परिसर ले गए. शहीद रामस्वरूप के परिजनों सीताराम और पप्पू सियाग का कहना है कि ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी ने बिना किसी आधार के शहीद की मौत को आत्महत्या बताया है, जिसकी जाँच होनी चाहिए. जबकि सेना द्वारा कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी के बाद ही इस बारे में कुछ कह जा सकता है. उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारियों का भी यही कहना है कि कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी के बग़ैर कुछ नहीं कहा जा सकता.