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मायावती राजस्थान उपचुनाव में नहीं उतार रही उम्मीदवार, जानें क्या हैं वजह 

राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक विश्लेषक इसके अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि विधानसभा और सेक्टर स्तरीय पदाधिकारियों के पुनर्गठन का काम चल रहा है। निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाया जा रहा है। सक्रिय कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। 
 
मायावती राजस्थान उपचुनाव में नहीं उतार रही उम्मीदवार, जानें क्या हैं वजह

Rajasthan News : राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक विश्लेषक इसके अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि विधानसभा और सेक्टर स्तरीय पदाधिकारियों के पुनर्गठन का काम चल रहा है। निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाया जा रहा है। सक्रिय कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। 

बाबा ने कहा कि ऐसे में 7 सीटों पर उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी उल्लेखनीय है कि मायावती कांग्रेस पर राजस्थान बसपा को तोड़ने का आरोप लगाती रहीं है। विधानसभा चुनाव 2018 में बसपा के विधायकों को अशोक गहलोत ने तोड़ लिया था। मामला कोर्ट तक पहुंच गया था। तब से मायावती के निशाने पर अशोक गहलोत रहते आए है। मायावती ने विधानसभा चुनाव 2023 में प्रत्याशी उतारे थे। बसपा के 2 विधायक जीते लेकन बाद में दोनों बीजेपी में शामिल हो गए है।

 बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा कांग्रेस को फायदा पहुंचाने वाली बात से इनकार करते है। उनका कहना है कि निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाया जा रहा है। इसलिए पार्टी प्रत्याशी नहीं खड़ा करेगी। राजस्थान विधानसभा उपचुनाव की 7 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। जबकि 23 नवंबर को मतगणना होगी। प्रदेश में 7 में 3 सीटों पर बसपा का प्रभाव माना जाता है। झुंझुनूं, दौसा और अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी का खासा प्रभाव है। 

ऐसे में इन सीटों पर बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारकर कांग्रेस के लिए राह आसान कर दी है। जबकि सलूंबर, चौरासी और देवली-उनियारा में भी बसपा का अपना वोट बैंक है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा अक्सर कांग्रेस के वोट बैंक में ही सेंध लगाती है। दलितों का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहता आया है। ऐसे में जब भी मायावती पार्टी उम्मीदवार खड़े किए है तो नुकसान कांग्रेस को होता आया है। राजस्थान में बसपा को कांग्रेस का वोट काटने वाली पार्टी के तौर पर जाना जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा के निर्णय से विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को फायदा हो सकता है।