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राजस्थान में मुसलमानों के नेता ने उठाया मुद्दा, यहां देखें विवाद की पूरी जानकारी 

रविवार को जयपुर में आयोजित तहफ्फुज औकाफ कॉन्फ्रेंस में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के मुद्दे पर जोरदार चर्चा की गई। इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन वक्फ संबंधित जन जागृति और मौजूदा वक्फ कानूनों में सुधार की मांग के लिए किया गया था। सम्मेलन में प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए और सरकार के खिलाफ कई मुद्दों को उठाया।
 
राजस्थान में मुसलमानों के नेता ने उठाया मुद्दा, यहां देखें विवाद की पूरी जानकारी

Rajatshan News : रविवार को जयपुर में आयोजित तहफ्फुज औकाफ कॉन्फ्रेंस में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के मुद्दे पर जोरदार चर्चा की गई। इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन वक्फ संबंधित जन जागृति और मौजूदा वक्फ कानूनों में सुधार की मांग के लिए किया गया था। सम्मेलन में प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए और सरकार के खिलाफ कई मुद्दों को उठाया।
 
मौलाना तौकीर रजा (इत्तेहादे ए मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष) ने अपने भाषण में कहा कि मुसलमानों को एकजुट होकर अपनी ताकत दिखानी चाहिए। उन्होंने दिल्ली में 24 तारीख को होने वाले प्रोग्राम का हवाला देते हुए कहा कि अगर सभी एकजुट होकर आकर अपनी बात रखने में भाग लेंगे, तो संसद के सत्र के दौरान उन लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी, जिन्होंने रसूल की शान में गुस्ताखी की। मौलाना रजा ने मुसलमानों से अपील की कि वे एक साथ आकर अपनी आवाज को और मजबूत करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

मौलाना रजा ने वक्फ की संपत्तियों के खिलाफ हो रही कोशिशों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि किसी भी ताकत का अधिकार नहीं है कि वह वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करे, और अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे 15 दिनों बाद फिर सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों के नौजवान अब इस संघर्ष में शामिल हो चुके हैं, और अगर ये लोग अपने काबू से बाहर हो गए, तो किसी भी सरकार के लिए उन्हें कंट्रोल करना मुश्किल होगा।

मौलाना रजा ने मोबाइल और सोशल मीडिया के खतरों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मोबाइल जैसे शैतान के माध्यम से बच्चों और युवाओं के दिलो-दिमाग में खराब विचार धारा घुस जाती है, और इस पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।सम्मेलन में मुहम्मद नाजिमुद्दीन (जॉइंट कमेटी तहफ्फुज औकाफ के संयोजक) ने वक्फ संशोधन बिल 2024 पर चिंता जताई। इस बिल के खिलाफ पूरे देश में विरोध हो रहा है, क्योंकि यह वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व और संचालन पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने से मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा, जो संविधान की धारा 25 और 26 में गारंटी प्राप्त है।

सैयद सरवर चिश्ती (अजमेर दरगाह के सैयद) ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि वे अब 65 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन अगर उनकी उम्र साथ देती तो वे और भी सक्रिय होते। चिश्ती ने कहा कि अगर औकाफ से जुड़ी अन्यायपूर्ण कार्रवाइयां जारी रहती हैं, तो वे सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मीडिया और एटीएस द्वारा उन पर किए गए हमले के बावजूद, उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है, जबकि कुछ प्रमुख नेताओं द्वारा किए गए हेट स्पीच पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

मौलाना सैयद तहज़िबुल हसन रिज़वी (इमाम, शिया जामा मस्जिद, रांची) ने वक्फ की संपत्तियों को ईश्वर की संपत्ति बताया और कहा कि इस संपत्ति के अधिकार पर कोई भी हस्तक्षेप देश की सद्भावना को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वक्फ के अधिकारों के खिलाफ किसी भी प्रकार के बदलाव से बचा जाए, ताकि देश में शांति और सामूहिकता बनी रहे।

कुल मिलाकर, इस कॉन्फ्रेंस ने वक्फ संपत्तियों के अधिकार, मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ कानूनों में बदलाव के खिलाफ विरोध की ओर ध्यान आकर्षित किया। इस तरह की घटनाएं और मुद्दे राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि ये सीधे तौर पर धार्मिक समुदायों के अधिकारों और उनकी स्थिति पर असर डालते हैं।