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एक थप्पड़ से खत्म हुआ नरेश मीणा का करियर, अब इतने साल जेल में रहेंगे बंद 

राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा के समरावता गांव में 13 नवंबर को हुआ 'थप्पड़कांड' एक गंभीर विवाद का कारण बन गया है। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उपचुनाव के दिन एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया, जिसके बाद गांव में तनाव फैल गया और भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। हालांकि इस घटना के बाद भी प्रदेश में ऐसी घटनाओं की इतिहास में कई मिसालें मौजूद हैं, जो नेताओं और अफसरों के बीच हिंसक झगड़ों को दर्शाती हैं।
 
एक थप्पड़ से खत्म हुआ नरेश मीणा का करियर, अब इतने साल जेल में रहेंगे बंद

Rajasthan News : राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा के समरावता गांव में 13 नवंबर को हुआ 'थप्पड़कांड' एक गंभीर विवाद का कारण बन गया है। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उपचुनाव के दिन एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया, जिसके बाद गांव में तनाव फैल गया और भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। हालांकि इस घटना के बाद भी प्रदेश में ऐसी घटनाओं की इतिहास में कई मिसालें मौजूद हैं, जो नेताओं और अफसरों के बीच हिंसक झगड़ों को दर्शाती हैं।

13 नवंबर को उपचुनाव के दौरान जब नरेश मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ मारा, तो मामला तूल पकड़ गया। इससे उपचुनाव के दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गई। मीणा के इस कृत्य के बाद पुलिस और प्रशासन द्वारा कई गिरफ्तारियां भी की गईं, और पूरे गांव में आक्रोश फैल गया।इस घटना के संदर्भ में राजस्थान में अफसरों और नेताओं के बीच हुए अन्य मारपीट के मामलों का उल्लेख किया गया है। राजस्थान में कई घटनाएं ऐसी हुई हैं जहां नेताओं और अफसरों के बीच हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें कुछ मामले अदालतों में लंबित हैं। उदाहरण के तौर पर:

नरेश मीणा पर कार्रवाई: नरेश मीणा के मामले में यह उल्लेखनीय है कि चूंकि वह विधायक नहीं हैं, इसलिए सीआईडी-सीबी द्वारा मामले की जांच नहीं की जाएगी। इसका मतलब यह है कि उनका मामला जल्दी से निपट सकता है, और पुलिस इसे सीधे जांचेगी। इस मामले में एसडीएम अमित चौधरी ने नरेश मीणा के खिलाफ पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवाई है और आरोप है कि मीणा ने मतदान के दिन गुस्से में आकर थप्पड़ मारा। अगर नरेश मीणा को दोषी पाया जाता है, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

राजस्थान में नेताओं के खिलाफ मामलों की धीमी जांच: सीआईडी-सीबी में मामलों की जांच में भारी देरी होने का आरोप है। वरिष्ठ वकील एके जैन का कहना है कि सांसद और विधायकों के खिलाफ मामलों में सीआईडी-सीबी हमेशा धीमी जांच करती है, और कई बार मामले सालों तक लटक जाते हैं। नरेश मीणा चूंकि विधायक नहीं हैं, इसलिए उनकी जांच सामान्य पुलिस द्वारा की जाएगी और यह मामला शायद जल्दी निपट सकता है।

नरेश मीणा और एसडीएम अमित चौधरी के बीच हुई इस मारपीट की घटना के बाद राजस्थान पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, और कड़ा कदम उठाने की संभावना है। यह भी देखा जा रहा है कि क्या मामले में राजनीतिक दबाव डाला जाएगा या यह न्यायिक प्रक्रिया के तहत सुचारू रूप से आगे बढ़ेगा।

यह घटना सिर्फ राजस्थान के चुनावी माहौल में एक और उथल-पुथल का कारण बनी है, बल्कि यह राजनीतिक हिंसा और कर्मचारी-अधिकारियों के बीच संबंधों की गंभीरता को भी उजागर करती है। नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच मारपीट की घटनाएं पहले भी हुई हैं, और कई मामलों में ये लंबित हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि इस मामले में जल्द से जल्द क्या कार्रवाई होती है और नरेश मीणा के खिलाफ क्या कानूनी कदम उठाए जाते हैं।