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Rajasthan: राजस्व विभाग से बड़ी खबर! नए राजस्व गांव घोषित करने के लिए बदले मानदंड

राजस्व विभाग ने गुरुवार को नए आदेश जारी करते हुए राजस्व गांवों को घोषित करने के मानदंडों में बदलाव किया है। अब, गांवों, ढाणियों और मजरों को नया राजस्व ग्राम घोषित करने के लिए निर्धारित आबादी की न्यूनतम सीमा को पुनः परिभाषित किया गया है। इस बदलाव के साथ, विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि केवल आबादी की दृष्टि से समुचित गांवों को ही राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाएगा, जिससे प्रशासनिक कार्यों और विकास योजनाओं को सुगम बनाया जा सके।
 
Rajasthan Revenue Department

Rajasthan Revenue Department: राजस्व विभाग ने गुरुवार को नए आदेश जारी करते हुए राजस्व गांवों को घोषित करने के मानदंडों में बदलाव किया है। अब, गांवों, ढाणियों और मजरों को नया राजस्व ग्राम घोषित करने के लिए निर्धारित आबादी की न्यूनतम सीमा को पुनः परिभाषित किया गया है। इस बदलाव के साथ, विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि केवल आबादी की दृष्टि से समुचित गांवों को ही राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाएगा, जिससे प्रशासनिक कार्यों और विकास योजनाओं को सुगम बनाया जा सके।

1. नए मानदंडों के अनुसार आबादी की सीमा

राजस्व विभाग के नए आदेश के तहत, विभिन्न क्षेत्रों के लिए न्यूनतम आबादी की सीमा निर्धारित की गई है। सामान्य क्षेत्र 200 से कम नहीं होनी चाहिए। रेगिस्तानी और अनुसूचित जनजाति उप योजना क्षेत्र150 से कम नहीं होनी चाहिए। यह बदलाव ऐसे गांवों और क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जहां पहले राजस्व ग्राम घोषित होने के लिए आबादी की संख्या अपर्याप्त रहती थी।

2. नवीन ग्राम घोषित होने के बाद की आबादी

नवीन ग्राम घोषित होने के बाद, मूल ग्राम की आबादी भी अब न्यूनतम सीमा से कम नहीं होनी चाहिए. सामान्य क्षेत्र न्यूनतम 200 आबादी। रेगिस्तानी और अनुसूचित जनजाति उप योजना क्षेत्र न्यूनतम 150 आबादी। इस बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गांवों में विकास योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन किया जा सके और प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चल सकें।

3. बदलाव के फायदे

अब छोटे और अपर्याप्त आबादी वाले गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने से प्रशासनिक कामों में समस्याएं कम होंगी। नए मानदंडों के चलते, केवल उन गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा मिलेगा जिनकी आबादी और स्थिति विकास योजनाओं के लिए उपयुक्त होगी। रेगिस्तानी और अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अधिक विकास अवसर मिलेंगे।